कौन हैं प्रदीप कुमार रावत और क्यों हो रही है उनकी चीनी मीडिया में चर्चा?

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ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि राजनयिक प्रदीप कुमार रावत चीन में नए भारतीय राजदूत बनाए गए हैं.

चीन में भी उनके नाम की चर्चा हुई और ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि जानकारों ने बताया है कि उनकी नियुक्ति का ज़्यादा मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए, और इससे दोनों देशों के बीच संबंध में तत्काल बदलाव आने की संभावना नहीं है.

हाल के वर्षों के दौरान, भारत-चीन की सीमाओं पर विभिन्न क्षेत्रों को लेकर अपने-अपने अलग-अलग दावों के बीच दोनों देशों के सैनिकों के बीच संघर्ष भी हुए हैं.

सिंघुआ यूनिवर्सिटी के नैशनल स्ट्रैटेजी इंस्टीट्यूट के रिसर्च विभाग के निदेशक क़ियान फेंग ने ग्लोबल टाइम्स से कहा, "अगर नए राजदूत की नियुक्ति हुई है तो यह एक नियमित कार्रवाई है जिसका ज़्यादा मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए."हालांकि इस नियुक्ति की अभी पुष्टि नहीं हुई है बावजूद इसके जानकारों ने इससे दोनों देशों के संबंधों में तुरंत बदलाव नहीं आने की संभावना जताई है.

क़ियानने कहा, "दिपक्षीय संबंधों में सुधार चीन के प्रति भारत सरकार की मानसिकता पर निर्भर करता है."🙏 उन्होंने कहा कि चीन को जानने वाले एक राजनयिक के तौर पर वे समझते हैं कि दोनों देशों के बीच सहयोग से ही संबंधों में सुधार होगा जबकि टकराव से नुकसान ही हुआ है.

चीन में अभी विक्रम मिश्री को सितंबर 2018 में भारतीय राजदूत नियुक्त किया गया था तो नई नियुक्ति को सामान्य बदलाव ही माना जा रहा है.

रावत अभी नीदरलैंड में भारतीय राजदूत हैं.

वे 1992 से 1997 के बीच हॉन्ग कॉन्ग और बीजिंग में काम कर चुके हैं और 2003 में उन्होंने चीन के अपने दूसरे कार्यकाल में बतौर काउंसलर शुरुआत की और 2007 में डिप्टी चीफ़ ऑफ़ मिशन के तौर पर उनका कार्यकाल ख़त्म हुआ.

वे चीन की आम बोलचाल की भाषा भी बोल लेते हैं. भारतीय मीडिया में उन्हें शांत स्वभाव और चीन-भारत के बीच द्विपक्षीय संबधों की व्यापक जानकारी रखने वाला बताया गया है.


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