क्रिप्टोकरेंसी पर टैक्स लगा सकती है सरकार, बजट में हो सकता है कानून में बदलाव

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केंद्र सरकार के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा है कि सरकार क्रिप्टोकरेंसी को टैक्स के दायरे में लाने के लिए आयकर कानूनों में बदलाव पर विचार कर रही है और कुछ बदलाव के साथ ये अगले साल के बजट का हिस्सा बन सकती हैं.

राजस्व सचिव तरुण बजाज ने कहा कि आयकर के संदर्भ में, कुछ लोग पहले से ही क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली आय पर टैक्स का भुगतान कर रहे हैं, और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के संबंध में भी कानून "बहुत स्पष्ट" है कि इस पर भी अन्य सेवाओं की तरह ही दर लागू होगी.

तरुण बजाज ने पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि "हम निर्णय लेंगे. मैं समझता हूं कि पहले से ही लोग इस पर टैक्स भर रहे हैं. अब जब इसमें बहुत ज़्यादा वृद्धि हो रही है, तो हम देखेंगे कि इसके लिए कानून में कुछ बदलाव लाने हैं या नहीं. लेकिन यह एक बजट गतिविधि होगी. हम बजट के करीब हैं, हमें इसे समय के हिसाब से देखना होगा.

यह पूछे जाने पर कि क्या क्रिप्टो ट्रेडिंग के लिए टीसीएस (टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स) का प्रावधान पेश किया जा सकता है, सचिव ने कहा, कि "अगर कोई नया कानून लाया जाता हैं तो हम देखेंगे कि वह क्या होगा."

उन्होंने कहा, 'लेकिन हां, अगर आप पैसा कमाते हैं तो आपको टैक्स देना होगा... हमें पहले ही कुछ टैक्स मिला है, कुछ ने इसे संपत्ति माना है और इस पर कैपिटल गेन टैक्स का भुगतान किया है.'

यह पूछे जाने पर कि क्या क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग में शामिल लोगों को फैसिलिटेटर, ब्रोकरेज और ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा और जीएसटी के तहत टैक्सेशन कैसे किया जाएगा?

इस बजाज ने कहा, कि "अन्य सेवाओं में ऐसी चीजें पहले से ही उपलब्ध होंगी. इसलिए जीएसटी की जो भी दर है, उन पर लागू होगी."

उन्होंने कहा, कि "उन्हें खुद को पंजीकृत करवाना होगा. जीएसटी कानून बहुत स्पष्ट है. अगर कोई गतिविधि है, अगर कोई ब्रोकर है जो लोगों की मदद कर रहा है और ब्रोकरेज फ़ीस ले रहा है, तो जीएसटी वसूला जाएगा."


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