त्रिपुराः विस्थापितों के शिविर में लगी आग, 18 घर तबाह

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शनिवार को उत्तर त्रिपुरा के हम्सापारा राहत शिवर में रह रहे विस्थापित मिज़ोरम ब्रू (जिन्हें वहां रेयांग कहा जाता है) के घरों में आग लग गई. इसमें 18 विस्थापितों की झोपड़ियां जल कर खाक हो गईं. आग फैलने से रोकने के लिए 11 अन्य झोपड़ियों को भी तोड़ा गया.

घटनास्थल से लौटकर पानी सागर के एसडीएम रजत पंत ने बीबीसी हिंदी को बताया, "स्थानीय लोगों और शुरुआती रिपोर्ट के मुताबिक ये आग बिजली के शॉर्ट सर्किट की वजह से लगी बताई गई है. हालांकि जो तहसीलदार मौके पर जांच कर रहे हैं उन्होंने अपनी रिपोर्ट नहीं सौंपी है. लेकिन कुछ घर पूरी तरह जल गए हैं जबकि कुछ अन्य घरों को आग को फैलने से रोकने के लिए तोड़ना पड़ा."

राहत शिवर में रह रहे 250 विस्थापित परिवार

उन्होंने बताया, "इस राहत शिविर में मिज़ोरम ब्रू के विस्थापित क़रीब 250 परिवार रह रहे हैं. यहां घर आपस में बहुत क़रीब बने हैं. साथ ही ये बांस, बेंत, लकड़ी और यहां तक कि ऐसी छप्पर वाली छतों से बने हैं जिनमें आग आसानी से पकड़ सकती है. फिलहाल इन परिवारों के पुनर्वास का काम चल रहा है."

एसडीएम ने बताया कि आग से न तो कोई हताहत हुआ है और न ही किसी को गंभीर चोट ही लगी है. स्थानीय लोगों की मदद से फायरब्रिगेड ने आग पर काबू पा लिया है.

हमारे सभी ज़रूरी दस्तावेज़ जल गए"

आग में अपना घर गंवाने वाले शिविर में रह रहे एक विस्थापित सुरेंद्र रियांग ने कहा, “हमारे घरों के साथ-साथ हमारे सभी डॉक्युमेंट्स भी इस आग में जल गए हैं. ये हमारे लिए एक बड़ा नुकसान है. इस महीने की शुरुआत में ही राज्य सरकार ने हमारा राशन बंद कर दिया था. हम सरकार से हमारा राशन फिर शुरू करने और हमें मुआवजा देने की मांग करते हैं.”

एसडीएम ने बताया कि प्रशासन की ओर से पीड़ित विस्थापितों के लिए अस्थायी सेल्टर होम्स, राशन, पानी और कुछ बुनियादी ज़रूरतों की व्यवस्था की गई है. साथ ही उनकी मदद करने के लिए यंग ब्रू एसोसिएशन भी कंबल और ऊनी कपड़ों की व्यवस्था कर रहा है.

1997 में मिज़ोरम में बहुसंख्यक मिज़ो के साथ संघर्ष के बाद ममित, कोलासिब और लुंगलेई ज़िलों से ब्रू लोग पड़ोसी राज्य त्रिपुरा में चले गए जहां वे सात राहत शिविरों में अमानवीय स्थिति में रह रहे हैं.

23 साल बाद बीते वर्ष जनवरी में केंद्र सरकार ने केंद्र, दोनों राज्य सरकारों (त्रिपुरा और मिज़ोरम) और विस्थापितों के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर के बाद इन विस्थापितों के स्थायी पुनर्वास के लिए 600 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की थी.


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