रायपुर का हैट्रिक बस स्टैंड

लेखक: संजय दुबे

feature-top

आपको भी लगा होगा कि क्रिकेट में लगातार तीन बाल में लिए जाने वाले विकेट की शब्दावली हैट्रिक का रायपुर के बस स्टैंड से क्या ताल्लुक? 

ताल्लुक है! पहले शहर छोटा था, आबादी कम थी इस कारण आना जाना भी कम था।रेल्वे से सफर ज्यादा होता था। बस से उन्ही शहरों में जाना होता था जहाँ तक बसे पहुँचाती थी। दो चार पहिये वाले वाहन नही के बराबर थे।। 

जयस्तम्भ चौक से कुछ दूरी पर दाई ओर सबसे पुराना बस स्टैंड हुआ करता था जहाँ से मध्यप्रदेश राज्य परिवहननिगम की लाल बसे चला करती थी। कुछ और रंगों की बसे हुआ करती थी जो उन सीमित मार्गो में चला करती थी जहां मध्यप्रदेश राज्य परिवहन निगम की बसे नहीं चलती थी। बचपन मे परमिट शब्द की जानकारी भी बस के माध्यम से ही मिली थी।

शहर की आबादी बढ़ी तो पहला बस स्टैंड पुराना बस स्टेंड हो गया। नया बस स्टैंड पंडरी क्षेत्र में चला गया। बसों का गन्तव्य बढ़ जो गए थे। नए बस स्टैंड से भी समभाव लाल और दीगर रंगों की बसे चल रही थी। लंबी दूरी के लिए आरामदायक बसों के रूप में सफेद बसे भी आई। जो कम स्थानों में रुकती ।एक बस रायपुर से बनारस चली थी। नागपुर से महाराष्ट्र राज्य परिवहन की बस खिड़की में जाली वाली रायपुर आती थी जिससे लोग समय मिलाया करते थे। इस बस का कंडक्टर पंच मशीन वाली टिकट दिया करता। था।

 मध्यप्रदेश से अलग कर देश के सबसे लोकप्रिय प्रधानमंत्री माननीय अटलबिहारी बाजपाई जी ने छत्तीसगढ़ सौगात में दिया। अजित जोगी मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने राज्य परिवहन निगम को खत्म कर दिया। ये निजी क्षेत्र में सबसे बड़ा जोखिम था। मेरा मानना है कि सरकार वो अच्छी होती है जो व्यवसायी नही होती हो , उसका सरोकार जनकल्याण हो। अनेक असफल व्यवसाय में डूबती सरकारे उदाहरण है। निजीकरण के चलते यात्री की सुविधा के लिए जो नयापन देखने को मिला उससे सब वाकिफ है। वातानुकूलित बसे, स्लीपर्स के साथ, बड़े पारदर्शी कांच, साफ सफाई के साथ वॉल्वो आ गए है। सरकार जो परिवहन निगम के घाटे से वैसे ही निकली जैसे एयर इंडिया से अब निकलने की कोशिश हुई है।

 खैर, राजधानी बनने के साथ ही रायपुर देश के मुख्य नगरों में शुमार हो गया। राजधानी से राजधानी के अलावा बड़े शहरों से सड़क मार्ग का संपर्क बढ़ने लगा। अटलबिहारी बाजपेई जी का जिक्र एक बार फिर कि उन्होंने नितिन गडकरी की देश व्यापी सड़क विस्तार योजना को हकीकत में बदला और जिन विदेशी सड़को को सफेद पेंट से सजी धजी सड़के देखते थे उसे आंखों के सामने देखने लगे।

  रायपुर नगर निगम का क्षेत्र बढ़ा और मध्य क्षेत्र में वाहन बढ़े तो एक बार फिर बस स्टैंड को अन्यत्र जाने की मांग उठी और अंततः तीसरे बस स्टेंड के रूप में आधुनिकता के साथ नया बस स्टेंड अस्तित्व में आ गया। अब जबकि दूरस्थ नगरों में जाना हो तो न कतार में खड़े होने की जरूरत है और न ही नगद मुद्रा लेकर जाने की तो घर बैठे टिकट कटती है और समय पर सफर शुरू।


feature-top
feature-top