प्रदीप कुमार रावत की चीनी मीडिया में इतनी चर्चा क्यों है?

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प्रदीप कुमार रावत को चीन में भारत का नया राजदूत बनाया गया है. सोमवार को भारतीय विदेश मंत्रालय ने उनकी नियुक्ति को लेकर प्रेस रिलीज़ जारी किया था. प्रदीप कुमार रावत मंदारिन यानी चीनी भाषा भी बोलते-समझते हैं.

रावत की नियुक्ति के बाद उनके मंदारिन जानने वाली बात प्रमुखता से रेखांकित की जा रही है. रावत इससे पहले नीदरलैंड्स में भारत के राजदूत थे और अब चीन में विक्रम मिस्री की जगह लेंगे. चीन में बतौर भारतीय राजदूत विक्रम मिस्री का तीन साल का कार्यकाल इसी महीने ख़त्म हुआ है.

रावत की नियुक्ति चीन में तब हो रही है जब दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधी ऐतिहासिक रूप से ख़राब हैं. पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलओसी पर अप्रैल 2020 से ही दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने हैं. अब भी गतिरोध में कोई कमी नहीं आई है और आए दिन ख़बरें आती रहती हैं कि चीन एलओसी पर कंस्ट्रक्शन का काम कर रहा है

अब भी इसका कोई समाधान नहीं हो पाया है और एलएसी पर दोनों देशों के हज़ारों सैनिक तैनात हैं. हालाँकि प्रदीप कुमार रावत चीन के साथ सीमा पर तनाव को लेकर कोई अजनबी नहीं हैं. चीन के मामलों में उनकी भागीदारी कई मामलों में रही है. रावत विदेश मंत्रालय में 2014 से 2017 तक ईस्ट एशिया के मामलों में संयुक्त सचिव थे और चीन को लेकर नीतियों का ज़िम्मा उनके ही पास था.


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