अटल प्रतिज्ञा का परिणाम है छत्तीसगढ - अशोक बजाज

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जनता के ह्रदय की धड़कन को बखूबी समझने वाले राष्ट्रनायक, पूर्व प्रधानमंत्री, भारत रत्न अटलबिहारी वाजपेयी की संकल्प शक्ति का ही परिणाम है कि 21 वर्ष पूर्व 1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ राज्य का उदय हुआ. उन्होंने 1998 में सप्रेशाला रायपुर के मैदान में जनता के नब्ज को टटोल कर वादा किया था कि यदि आप लोकसभा की 11 में से 11 सीटो में भाजपा को जितायेंगे तो मैं आपको छत्तीसगढ़ राज्य दूंगा. हालाँकि चुनाव में भाजपा को 11 में से 8 सीटें ही मिली लेकिन केंद्र में भाजपा की सरकार पुनः बनी तथा अटल जी पुनः प्रधानमंत्री बन गए. प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी ने अपनी प्रतिज्ञा के अनुरूप छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के लिए पहले ही दिन से प्रक्रिया प्रारंभ कर दी. मध्यप्रदेश राज्य पुर्निर्माण विधेयक 25 जुलाई 2000 को लोकसभा में पेश किया गया. इसी दिन दो अन्य राज्यों उत्तराखंड एवं झारखंड राज्य के विधेयक भी पेश हुए. 31 जुलाई 2000 को लोकसभा में और 9 अगस्त को राज्य सभा में छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के प्रस्ताव पर मुहर लगी. 25 अगस्त को राष्ट्रपति के हस्ताक्षर हो गए. तत्पश्चात 4 सिंतबर 2000 को भारत सरकार के राजपत्र में प्रकाशन के बाद 1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ देश के 26 वें राज्य के रूप में अस्तित्व में आया. इस प्रकार अटलजी की एक अटल-प्रतिज्ञा पूरी हुई.

वास्तव में राज्य का गठन करना कोई हंसी खेल तो था नहीं. कई वर्षो से लोग आवाज उठा रहे थे. इसके लिए लोग अनेक तरह से आंदोलन भी करते रहे लेकिन राज्य का निर्माण नहीं हो पाया था. यह तो अटलजी की दृढ इच्छा शक्ति का ही परिणाम है कि बिना खूनखराबे के राज्य का निर्माण हो गया. छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के पहले हम मध्यप्रदेश में थे. मध्यप्रदेश का निर्माण सन 1956 में 1 नवम्बर को ही हुआ था. हम 1 नवम्बर 1956 से 31 अक्टूबर 2000 तक यानी 44 वर्षो तक मध्यप्रदेश के निवासी थे तब हमारी राजधानी भोपाल थी. इसके पूर्व वर्तमान छत्तीसगढ़ का हिस्सा सेन्ट्रल प्रोविंस एंड बेरार (सी.पी.एंड बेरार) में था तब हमारी राजधानी नागपुर हुआ करती थी. इस प्रकार हमें पहले सी.पी.एंड बेरार, तत्पश्चात मध्यप्रदेश और अब छत्तीसगढ़ के निवासी होने का गौरव प्राप्त हो रहा है. वर्तमान छत्तीसगढ़ में जिन लोगो का जन्म 1 नवम्बर 1956 को या इससे पूर्व हुआ है वे तीन राज्यों में रहने का सुख प्राप्त कर चुके है. परंतु छत्तीसगढ़ राज्य में रहने का अपना अलग ही सुख है.

छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद माननीय अटलबिहारी वाजपेयी जी का सन 2001 में जब पहली बार छत्तीसगढ़ आगमन हुआ तब उनका छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माता के रूप में जोशीला स्वागत हुआ था। वे छत्तीसगढ़ के लोगों को किए गये वादे को पूरा करके तथा अपनी प्रतिज्ञा को पूरा करके आये थे। अतः राज्य की जनता पलक पावड़े बिछाकर उनका इंतजार कर रही थी। उस दिन छत्तीसगढ़- वासियों को उसी प्रकार के आनंद की अनुभूति हो रही थी जिस प्रकार नये राज्य की स्थापना के समय 1 नवम्बर 2000 को हो रही थी।

तमाम स्वागत, अभिनंदन, उमंग और उत्साह के बावजूद एक टीस तो उन्हें थी, अपने अंदाज में उन्होने जनसभा में व्यक्त भी कर दिया। उन्होने उस समय कहा था कि छत्तीसगढ़ की धरती को प्रकृति की अपार कृपा है, यह धरती जल सम्पदा, वन सम्पदा एवं खनिज सम्पदा से परिपूर्ण है, यहाँ की जनता मेहनतकश है. परन्तु इस राज्य को विकास के शिखर तक ले जाने के लिए एक प्रमाणित सरकार की कमी है। अटल जी के इस कथन का प्रभाव यह हुआ कि 2003 में जब नव गठित छत्तीसगढ़ विधानसभा का पहला चुनाव हुआ तो भारतीय जनता पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिला।

डॉ. रमन सिंह प्रथम निर्वाचित सरकार के मुख्यमंत्री बने तथा लगातार 15 वर्षाे तक भाजपा सरकार का नेतृत्व किया। इस दौरान छत्तीसगढ़ का तीव्र गति से विकास हुआ। अनेक जनकल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से लोगों के जीवनस्तर को ऊपर उठाने का प्रयास हुआ। छत्तीसगढ़ अकाल व पलायन से मुक्त हुआ। किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण मिलने लगा। सरप्लस बिजली उत्पादन होने से किसानों को चौबीसों घंटेछ बिजली मिलने लगी, विद्युत पंपों के जाल बिछ गये। फलस्वरूप खेती लहलहाने लगी, उत्पादन दुगुना हो गया. शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार हुआ। कुपोषण व अशिक्षा के खिलाफ संघर्ष तेज हुआ। सभी गांव बारामासी सड़कों से जुड़ गये। कुल मिलाकर छत्तीसगढ़ में विकास की बयार बहने लगी। गांवों, कस्बों एवं शहरों की तकदीर व तस्वीर बदल गई। इन 15 वर्षों में भाजपा सरकार के प्रयासों का नतीजा है कि छत्तीसगढ़ देश के विकसित राज्यों की श्रेणी में स्थापित हो गया. यह संभव हो पाया तो केवल इसीलिए कि माननीय अटलबिहारी वाजपेयी ने एक झटके में छत्तीसगढ़ का निर्माण किया है, छत्तीसगढ़ की जनता उनका सदैव ऋणी रहेगी


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