2021: ऐसा क्या हुआ कि बदल गई दुनिया

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तालिबान, कोरोना, ईरान..

21वीं सदी का इक्कीसवां साल कोविड के साए में रहा. कोरोना की दूसरी लहर आंधी की तरह आई और पूरी दुनिया ने तबाही का ख़ौफ़नाक मंज़र देखा.

लेकिन इस बीच कई दूसरी घटनाएं भी वैश्विक परिदृश्य पर छाई रहीं.

दुनिया जहान में पड़ताल उन बड़ी घटनाओं की, जिनकी वजह से साल 2021 याद किया जाएगा.

अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान की वापसी

अफ़ग़ानिस्तान के लिए साल 2021 इतिहास बदलने वाला साबित हुआ. अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान की वापसी हुई.

तमाम लोगों की उम्मीदों के परे देखते ही देखते अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता पर तालिबान का कब्ज़ा हो गया. इस दौरान दुनिया ने ऐसी झकझोर देने वाली तस्वीरें देखीं जिनकी कल्पना नहीं की जा सकती थी.

कोरोना का साया 

चीन के वुहान से फैले कोरोना वायरस ने धीरे धीरे पूरी दुनिया को अपनी गिरफ़्त में ले लिया. साल 2021 में जब धीरे धीरे दुनिया पटरी पर लौट रही थी तभी कोरोना के डेल्टा वेरिएंट कई देशों में दिक्कत की वजह बन गया.

इस वेरिएंट की पहचान सबसे पहले भारत में की गयी. इस वेरिएंट ने उन लोगों को भी प्रभावित किया जिनका टीकाकरण हो चुका था.

डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉक्टर टेड्रोस एडहानोम ग़ीब्रियेसुस ने जुलाई में इसकी गम्भीरता के विषय में आगाह करते हुए कहा था, "डेल्टा वेरिएंट बेहद ख़तरनाक है और लगातार तेज़ी से म्यूटेट हो रहा है. अब तक करीब 100 देशों में यह फैल चुका है. यह सभी देशों में तेज़ी से फैल रहा है चाहे वहाँ टीकाकरण की दर कम हो या ज़्यादा."

ब्रिटेन से लेकर अमरीका तक में सबसे ज़्यादा मामले डेल्टा वेरिएंट के ही मिले. इसका असर केवल मानव स्वास्थ्य तक सीमित नहीं रहा, दुनिया का आर्थिक स्वास्थ्य भी इससे प्रभावित हुआ

ईरान परमाणु समझौता और रईसी दौर की शुरुआत

ईरान का परमाणु कार्यक्रम और परमाणु समझौते को पटरी पर लाने की कोशिश साल 2021 में लगातार सुर्ख़ियों में रहे.

इसकी भूमिका अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने साल 2018 में तब लिखी थी जब उन्होंने फैसला किया कि अमरीका ईरान परमाणु समझौते से अलग हो रहा है. उन्होंने ईरान पर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए थे.

ईरान की आर्थिक स्थिति ख़राब होने लगी. ईरान ने भी परमाणु समझौते की शर्त तोड़ते हुए यूरेनियम संवर्धन की शुद्धता को तय सीमा से बढ़ाना शुरू कर दिया.

म्यांमार में तख़्तापलट

भारत का पड़ोसी देश म्यांमार, जहां सेना ने देश की सर्वोच्च नेता आंग सान सू ची समेत कई नेताओं को गिरफ़्तार करने के बाद सत्ता अपने हाथ में ले ली.

साल 2011 में सैन्य शासन ख़त्म होने के बाद से म्यांमार में दूसरी बार चुनाव हुए. चुनावी नतीजों में सू ची की नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी पार्टी ने 83 फीसदी सीटें जीती थीं लेकिन विपक्ष और म्यांमार की सेना ने इन नतीजों पर सवाल खड़े किए.

सैन्यबलों ने विपक्ष की दोबारा वोटिंग की मांग का समर्थन किया और सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रपति और चुनाव आयोग के अध्यक्ष के ख़िलाफ़ शिकायत की. हालांकि सेना ने इस बात का कोई सबूत नहीं दे पायी कि चुनाव में फ़र्ज़ीवाड़ा हुआ है.


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