कालीन बुनाई से महिलाएं अपने जीवन में भर रहीं सुनहरे रंग

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हस्तशिल्प विकास बोर्ड की 6 बुनाई केन्द्रों में 114 महिलाओं को कालीन बुनाई से मिल रहा रोजगार 

        आदिवासी महिलाएं कालीन बुनाई से अपने जीवन में रंग भर रहीं हैं। आत्मविश्वास से लबरेज इन महिलाओं का कहना है कि उन्हें इस नए हुनर से उनमें नया आत्मविश्वास जगा है। उनके परिवार की आमदनी में इजाफा हुआ है। हस्तशिल्प विकास बोर्ड की योजना के तहत सरगुजा जिले की 114 महिलाओं को कालीन बुनाई का प्रशिक्षण दिया गया है। 

छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि महिलाओं को रोजगार मूलक प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए 114 महिलाओं को कालीन निर्माण से जोड़ा गया। इनमें रघुनाथपुर की 20, बटवाही की 20, गंगापुर की 20, सिरकोतंगा की 20, दरिमा की 16 तथा कमलेश्वरपुर की 18 महिलाएं शामिल हैं। तीन माह के प्रशिक्षण के बाद प्रशिक्षित महिलाओं को प्रशिक्षण केन्द्र में ही कच्चा माल देकर उनसे कालीन तैयार करवाया जा रहा है। इसके अलावा प्रशिक्षण अवधि में उन्हें 150 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से भत्ता भी दिया गया है। अधिकारियों ने बताया कि महिलाओं को स्वरोजगार के लिए बिहान योजना से भी जोड़ा जा रहा है। बिहान समूह की महिलाओं को बुनाई मशीन से लेकर कच्चा माल उपलब्ध कराने में भी सहायता दी जाती है। 

रघुनाथपुर कालीन बुनाई सेंटर में काम करने वाली श्रीमती सुनीता बघेल ने बताया कि कालीन बुनाई कार्य प्रारंभ करने के लिए बिहान कार्यक्रम से जुड़कर मशीन खरीदने लोन लिया है। बुनाई में प्रयुक्त कच्चे माल और अन्य मटेरियल उन्हें हस्तशिल्प बोर्ड के द्वारा ही उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने बताया कि प्रत्येक मशीन में 2 महिलाएं मिलकर कालीन बुनाई का कार्य करती हैं। एक कालीन बनाने में उन्हें लगभग सप्ताह भर का समय लग जाता है। कालीन के साइज के अनुसार महिलाओं को हस्तशिल्प बोर्ड से उनका मेहनताना तत्काल मिल जाता है। इसमे औसतन लगभग 7 से 8 हजार रुपये प्रति माह की कमाई हो जाती है। तैयार हुए कालीन की बिक्री हस्तशिल्प बोर्ड अपने विक्रय केंद्र के माध्यम से की जाती है।

श्रीमती बघेल ने बताया कि वर्तमान में सरगुजा का विक्रय केंद्र अम्बिकापुर में स्थित है। सबसे अच्छी बात ये है कि महिलाएं अपने घर के काम निपटाने के पश्चात कालीन बुनाई का कार्य करती हैं। गृह कार्य के साथ-साथ उन्हें आजीविका के लिए कालीन बुनाई का कार्य भी कर रही हैं। इस तरह उन्हें घर के पास ही स्व-रोजगार भी उपलब्ध हो रहा है और वे सभी महिलाएं आर्थिक रूप से समृद्ध हो रही हैं।


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