नवा रायपुर इलाके में किसानों का आंदोलन शुरू....

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छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से सटे नवा रायपुर इलाके में किसानों का आंदोलन शुरू हो गया है। सैकड़ों महिलाएं और पुरुष सोमवार को न्यू रायपुर डेवलपमेंट अथॉरिटी का दफ्तर घेरने पहुंच गए। बड़ी संख्या में पहुंचे लोगों ने सड़क को जाम कर दिया। सड़क पर बैठकर ही धरना देना शुरू कर दिया।

लोगों की भीड़ जुटने की खबर पाते ही आसपास के थानों से पुलिस फोर्स मौके पर पहुंची। लोगों को हटाने की कोशिश की गई, मगर संख्या में ज्यादा महिलाओं ने सड़क से उठने की बात पर इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं हो जाती धरना जारी रहेगा। आसपास के किसान नेता भी इस आंदोलन में शामिल होने पहुंचे हैं और लोगों को संबोधित करते हुए अपने हक को छीन कर लेने का दम भर रहे हैं।

इस वजह से आंदोलन

नवा रायपुर प्रभावित किसान कल्याण संघ के नेता साकेत चंद्राकर ने बताया कि 27 गांव की जमीन लेकर नवा रायपुर इलाका डेवलप किया गया। अपनी जमीन देने वाले किसानों को आज तक अपने हक के लिए भटकना पड़ रहा है। हम सभी चाहते हैं कि किसानों को चार गुना मुआवजा दिया जाए, हर परिवार को 1200 स्क्वायर फीट जमीन दी जाए, जिन किसान परिवारों ने अपनी जमीन एनआरडीए को दी उनके बेरोजगार युवकों को रोजगार दिया जाए।

साकेत ने बताया कि साल 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले भी किसान इन मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे थे। तब कांग्रेस पार्टी ने इन मांगों को पूरा करने का वादा किया था। मगर बीते 3 सालों से वादे पूरे नहीं हुए। हर साल प्रभावित किसानों को 15000 रुपए भी एनआरडीए की तरफ से दिए जाते थे, जो पिछले 3 सालों से नहीं मिले हैं। साकेत ने बताया कि इस वजह से लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है और अब सभी ने आंदोलन का रुख अख्तियार किया है। जब तक मांगें पूरी नहीं कर दी जाती तब तक इसी तरह से आंदोलन चलता रहेगा।

 क्योंकि किसान नहीं बेच सकते जमीनें

नवा रायपुर क्षेत्र के 27 गांवों में जमीन खरीदी बिक्री पर रोक लगी है। इस इलाके के किसान नेता रूपन चंद्राकर ने बताया, वर्ष 2005 से नवा रायपुर क्षेत्र के 27 गांवों में स्वतंत्र भूमि के क्रय-विक्रय पर रोक लगी हुई है। प्रभावितों को शादी-ब्याह, इलाज, मकान निर्माण के लिए जमीन रहते हुए भी बैंकों व अथॉरिटी द्वारा राशि नहीं मिलती। इसके कारण साहूकारों से अधिक ब्याज दर पर कर्जा लेना पड़ता है। प्रतिबंध के कारण भूमि को न क्रय कर सकते हैं, न गिरवी रखी जाती है। पैसे के अभाव में किसानों को काफी दिक्कतें हो रही हैं। ऐसे में 2005 से लगे प्रतिबंध काे तत्काल खत्म किया जाना चाहिए।


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