प्राकृतिक कारणों के बिना लगने वाली आग को 'दैवीय कृत्य' नहीं माना जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

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सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की एक पीठ ने आग लगने की घटना को 'दैवीय कृत्य' (एक्ट ऑफ़ गॉड) मानने से इनकार कर दिया है.

अदालत ने कहा कि ऐसे हादसों को तब तक 'दैवीय कृत्य' नहीं मान सकते, जब तक बाहरी प्राकृतिक ताक़तों जैसे तूफ़ान, बाढ़, बिजली या भूकंप के चलते आग न लगी हो.

सुप्रीम कोर्ट ने यह फ़ैसला देते हुए इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा दिए गए एक पूर्व आदेश को रद्द कर दिया है.

इस आदेश में हाई कोर्ट ने एक कंपनी के गोदाम में लगी आग को 'दैवीय कृत्य' क़रार दे दिया था.और शराब बनाने से जुड़ी कंपनी को बकाया उत्पाद करों से राहत दे दी थी.

जस्टिस एएम खानविलकर के नेतृत्व वाली इस खंडपीठ में जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस कृष्ण मुरारी सदस्य थे.

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फ़ैसले में कहा, ''मौजूदा मामले में प्रकृति की किसी शक्तियों जैसे तूफ़ान, बाढ़, बिजली या भूकंप के चलते आग नहीं लगी. जब किसी भी बाहरी प्राकृतिक ताक़त की आग लगाने में भूमिका नहीं थी, तो यह कुछ भी हो, 'दैवीय कृत्य' तो नहीं हो सकता.''

अदालत ने यह भी कहा कि इस मामले में आग लगने के पीछे कोई शख़्स भी ज़िम्मेदार नहीं है.


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