रूस-यूक्रेन संकट को लेकर ब्रिटेन इतना परेशान क्यों है

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दूसरे पश्चिमी देशों की तरह ब्रिटेन भी यूक्रेन की सहायता कर रहा है. अगर रूस, यूक्रेन पर हमला करता है तो ब्रिटेन आर्थिक प्रतिबंध लगाएगा, ऐसी चेतावनी ब्रिटेन की तरफ़ से रूस को दी जा रही है.

ब्रिटेन, यूक्रेन को टैंक रोधी हथियार और बख़्तरबंद गाड़ियां भी मुहैया करा रहा है. ऐसा भी वादा किया गया है कि अगर रूस की सेना यूक्रेन की सीमा में घुसती है तो ब्रिटेन भी नेटो सैन्य गठबंधन के अपनी फौज़ भेजेगा.

आख़िर ब्रिटेन इस संभावित संघर्ष में क्यों शामिल हो रहा है?

साल 1938 में जर्मनी के चेकोस्लोवाकिया पर आक्रमण की कोशिश पर ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री नेविल चेम्बरलेन की टिप्पणी की लंबे समय तक आलोचना हुई थी. उन्होंने इसे कुछ इस तरह बताया था- "एक दूर के देश में उन लोगों के बीच झगड़ा जिनके बारे में हम कुछ नहीं जानते."

लेकिन उनकी ये टिप्पणी सभी नीति-निर्माताओं के लिए एक चुनौती की तरह है. ये इसलिए क्योंकि ये सोचने को मजबूर करती है कि क्या दो देशों के बीच चल रहे संघर्ष में कूटनीतिक रूप से और यहाँ तक की सैन्य रूप से शामिल होना चाहिए. इसके नतीजे दूरगामी हो सकते हैं.


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