भारत ने क्या सिंगापुर के पीएम के बयान पर ज़रूरत से ज़्यादा कड़ा रुख़ दिखाया?

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सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सियन लूंग ने 15 फ़रवरी को अपने देश की संसद में हो रही बहस के दौरान भारत की संसद का हवाला देते हुए एक टिप्पणी की. इसे लेकर भारत ने नाराज़गी तो ज़ाहिर की ही, साथ ही लूंग के उस बयान पर भारत में बहस भी छिड़ गई.

प्रधानमंत्री ली ने अपनी संसद को संबोधित करते हुए मीडिया की रिपोर्टों का हवाला देते हुए कहा, ''नेहरू के भारत में लगभग 50 प्रतिशत सांसदों के ख़िलाफ़ हत्या और बलात्कार जैसे आरोप लंबित'' हैं.

हालांकि इस वक्तव्य पर उन्होंने फ़ौरन स्पष्टीकरण भी दिया और कहा कि ''ये भी कहा जा रहा है कि इनमें से बहुत से आरोप राजनीति से प्रेरित'' भी हैं.

उसके बाद भारत ने प्रधानमंत्री ली के बयान पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि उनका यह बयान 'अस्वीकार्य और ग़ैर ज़रूरी' था. भारत के विदेश मंत्रालय ने सिंगापुर के उच्चायुक्त साइमन वोंग को तलब किया और प्रधानमंत्री ली के बयान पर आपत्ति जताते हुए उन्हें 'डी मार्च' भी जारी कर दिया.

ऐसा क्यों कहा सिंगापुर के पीएम ने 

सिंगापुर के प्रधानमंत्री अपनी संसद की विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट पर हो रही चर्चा में बोल रहे थे, जिसमें वहां की विपक्ष के 5 बड़े नेताओं पर 'झूठ बोलने' का आरोप लगा था.


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