यूक्रेन बनाम रूस: गोले दागे जाने का दावा, क्या इस पर यकीन किया जा सकता है?

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इस समय तनावग्रस्त क्षेत्र से पुख़्ता जानकारी हासिल करने में स्वाभाविक समस्याएं हैं. ऐसे में विरोधी पक्ष की ओर से किए जाने वाले दावों को संदेह के साथ देखे जाने की ज़रूरत है.

यूक्रेन के पूर्वी हिस्से में तनाव बढ़ने के बाद एक दूसरे पर लगाए जा रहे आरोप असल गोलाबारी से कम अहम नहीं हैं.

यूक्रेन के लुहांस्क में स्थित नर्सरी स्कूल पर गोले दागे जाने की हालिया घटना उस बर्बरता को रेखांकित करता है जिसे कीव के अधिकारी 'रूसी आक्रामकता' के रूप में परिभाषित करते हैं।

वहीं, रूसी सरकार यूक्रेन पर हमला करने का इरादा रखने से इनकार कर रहा है. लेकिन मीडिया मैसेजिंग को देखें तो ऐसा लगता है कि यह इस पक्ष में आम राय बनाने की दिशा में काम कर रही है.

इसमें यूक्रेन पर रूस समर्थित अलगाववादियों द्वारा कब्जाई ज़मीन पर बड़ा हमला करने की साजिश रचने का आरोप लगाया गया है जिसमें संभवत: बेगुनाह लोगों को निशाना बनाया जाएगा.

रूस के टीवी दर्शकों को ये लग सकता है कि यूक्रेन में रहने वाले अपने लोगों को बचाना रूस का नैतिक कर्तव्य है.

इस प्रक्रिया में सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या रूस उस अत्याचार के बारे में लोगों को बताएगा जिसकी वह चेतावनी दे रहा है, और अगर ऐसा होगा तो वह कब बताएगा.

अमेरिकी अधिकारियों ने बताया है कि यह एक फॉल्स फ़्लैग ऑपरेशन हो सकता है जिसे रूस द्वारा अंजाम दिया जाएगा जिससे यूक्रेन पर हमला करने का बहाना मिल सके.

डोनबास में हालिया तनाव के बावजूद अब तक इस हद को पार नहीं किया गया है.


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