मंगल ग्रह की यात्रा में 500 नहीं सिर्फ 45 दिन लगेंगे, जानें क्‍या है रिसर्चर्स का आइडिया

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अंतरिक्ष के छुपे हुए रहस्‍यों को खोजने के लिए दुनियाभर की स्‍पेस एजेंसियां काम कर रही हैं। प्राइवेट कंपनियों ने भी अपने कमर्शल वेंचर्स के साथ इस क्षेत्र में कदम रखा है। अमेरिका और चीन जैसे देशों की नजर मंगल ग्रह पर है। दोनों ही देश अगले दशक तक मंगल ग्रह पर इंसानों को उतारने का लक्ष्‍य लेकर चल रहे हैं। इस मकसद की तारीफ तो की जानी चाहिए, लेकिन साथ ही कई तकनीकी चुनौतियां भी हैं। उदाहरण के लिए, मंगल ग्रह के लिए एक मिशन हर 26 महीने में सिर्फ एक बार लॉन्‍च किया जा सकता है। ऐसा इसलिए, क्‍योंकि मंगल और पृथ्‍वी अपने नजदीकी बिंदु पर होते हैं। इसके बाद भी जो तकनीक मौजूद है, उसकी मदद से पृथ्‍वी से मंगल तक पहुंचने में 9 का वक्‍त लगेगा। यही वजह है कि अंतर‍िक्ष यात्रा को बदलने के लिए नए विचारों की जरूरत महसूस होती है। 

इसका सॉल्‍यूशन लेकर आया है कनाडा की मैकगिल यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स का एक ग्रुप। उनका कहना है कि अगर अंतरिक्ष यान उनके द्वारा बताई गई संचालक शक्ति प्रणाली का इस्‍तेमाल करता है, तो पृथ्वी-मंगल की यात्रा का समय घटाकर सिर्फ 45 दिन किया जा सकता है। यानी पृथ्‍वी से मंगल ग्रह पर पहुंचने में 45 दिनों का वक्‍त लगेगा। ऐसा संभव हुआ, तो मंगल ग्रह से जुड़ी खोज में काफी तेजी आएगी। साइंटिस्‍ट एक लेजर-थर्मल प्रपल्‍शन सिस्‍टम की क्षमता का आकलन कर रहे हैं। इसी की बदौलत इतने कम वक्‍त में मंगल पर पहुंचने की उम्‍मीद जगी है।


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