यूपी चुनाव : रसड़ा : बसपा का चक्रव्यूह भेदने की चुनौती,
हैट्रिक की चाहत में बसपा विधायक उमाशंकर ने भी की तगड़ी किलेबंदी
- बलिया : जनपद की हॉट सीटों में शुमार रसड़ा सीट पर पिछले दो विधानसभा चुनावों से उमाशंकर सिंह का कब्जा है। उमाशंकर के पहले के दो चुनावों में भी सीट बसपा के ही कब्जे में रही है, हालांकि, तब इसका प्रतिनिधित्व घूरा राम ने किया था। 1996 में यहां एक बार कमल खिला चुकी भाजपा बसपा का चक्रव्यूह भेदने की कोशिश में पूरा जोर लगाए हुए है। वहीं, सपा का इस सीट पर अभी तक खाता नहीं खुल सका है। इस बार भी उसने सीट सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को दे रखी है। सुभासपा यहां लड़ाई अपने पक्ष में करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर तो लगा ही रही है।
रसड़ा सीट 2007 तक सुरक्षित रही। पिछले सात चुनावों से इस सीट पर बसपा का दबदबा देखा जा रहा है। बहरहाल, उमाशंकर को घेरने के लिए अन्य दलों ने नए चेहरों पर भरोसा जताया है। सपा से गठबंधन होने से यह सीट सुभासपा को मिली है। भाजपा ने राजभर मतदाताओं को रिझाने के लिए पूर्व सांसद बब्बन राजभर को मैदान में उतारा है। बब्बन राजभर बसपा से सांसद भी रहे हैं। सुभासपा ने इस सीट से अपनी रणनीति बदलते हुए चौहान समाज से महेंद्र चौहान को प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस ने डॉ. ओमलता को प्रत्याशी बनाया है। हालांकि, वे अनुसूचित जाति के स्वजातीय मतों में कितना सेंध लगा पाती हैं, ये समय बताएगा।
1989 तक कांग्रेस का रहा प्रभाव : वर्ष 1989 तक यहां कांग्रेस का प्रभाव रहा। हालांकि, यह बात अलग है कि 1977 में यह सीट जनता पार्टी तो 1974 में कम्युनिस्ट पार्टी के खाते में रही। 1989 के बाद यहां से कांग्रेस का पराभव शुरू हुआ।
एससी 90 हजार
राजभर 52 हजार
मुस्लिम 42 हजार
यादव 37 हजार
क्षत्रिय 33 हजार
वैश्य 20
चौहान 18 हजार
ब्राह्मण 10 हजार
2017 का चुनाव परिणाम
उमाशंकर सिंह, बसपा 92,272
राम इकबाल सिंह, भाजपा 58,385
सनातन पांडेय, सपा 37,006
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