भगवान शिव और कामदेव से जुड़ी है होली की पवित्र कथा

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हिंदू धर्म में होली प्रमुख त्योहारों में से एक है। हर साल फाल्गुन मास में ये पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। होली का त्योहार होलिका दहन के साथ ही शुरू होता है, फिर इसके अगले दिन रंग-गुलाल के साथ होली खेली जाती है। इस साल 17 मार्च 2022 को होलिका दहन होगा और 18 मार्च को देशभर में होली मनाई जाएगी। भारत में फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के अगले दिन होली मनाई जाती है। इस दिन हिन्दू धर्म के लोग एक जुट होकर खुशियां मनाते हैं और एक दूसरे को प्यार के रंगों में सराबोर करके अपनी खुशी जाहिर करते हैं। हिंदू धर्म के अनुसार होलिका दहन को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना गया है। साथ ही धार्मिक मान्यताओं में होलिका दहन के अलावा होली को लेकर भी कई तरह की कहानियां प्रचलित हैं। इनमें से एक कथा कामदेव की भी है। आइए जानते हैं इसके बारे में..

होली से जुड़ी कामदेव और शिव शंकर की कथा 

पौराणिक कथा के अनुसार, देवी पार्वती शिव जी से विवाह करना चाहती थीं, लेकिन तपस्या में लीन शिव का ध्यान उनकी ओर नहीं गया। पार्वती की इन कोशिशो को देखकर प्रेम के देवता कामदेव आगे आए और उन्होंने शिव पर पुष्प बाण चला दिया, जिसके कारण शिव की तपस्या भंग हो गई। तपस्या भंग होने की वजह से शिव नाराज हो गए और उन्होंने अपनी तीसरी आंख खोल दी और उनके क्रोध की अग्नि में कामदेव भस्म हो गए। 

इसके बाद शिव जी ने पार्वती की ओर देखा। हिमवान की पुत्री पार्वती की आराधना सफल हुई और शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया। लेकिन कामदेव के भस्म होने के बाद उनकी पत्नी रति को असमय ही वैधव्य सहना पड़ा। फिर रति ने शिव की आराधना की। वह जब अपने निवास पर लौटे, तो कहते हैं कि रति ने उनसे अपनी व्यथा कही।


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