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पांच राज्यों के चुनावी नतीजों के बाद जातिगत जनगणना का सवाल राजनीति का केंद्र बिंदु बनेगा
पांच राज्यों के चुनावी नतीजों के बाद जातिगत जनगणना राजनीति का केंद्र बिंदु बनेगी, इसके संकेत आने प्रारंभ हो गए हैं। समाजवादी पार्टी, राजभर कीसुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, अपना दल कमेरा, संजय चौहान की जनवादी पार्टी के साथ-साथ उत्तर प्रदेश एनडीए के दोनों प्रमुख घटक अपना दल (अनुप्रिया गुट) और निषाद गुट ने अपनी चुनावी सभाओं में इसकी मांग की। इन दलों द्वारा 1931 की जनगणना को त्रुटिपूर्ण एवं जातीय विद्वेष पर आधारित माना गया है।
परिणाम चाहे कुछ भी रहे, लेकिन 2024 के चुनाव की लामबंदी को लेकर इसे चुनावी मुद्दा बनाने के लिए उत्तर प्रदेश के दल सक्रिय हो गए हैं। इसी बीच, जातिगत जनगणना अभियान के पैरोकार नीतीश कुमार का वक्तव्य काफी अर्थपूर्ण हो गया है, जिसमें उन्होंने पांच राज्यों के चुनाव के बाद जातिगत जनगणना को लेकर सर्वदलीय बैठक बुलाने की घोषणा की है। अगस्त, 2021 में नीतीश कुमार के नेतृत्व में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री से भेंट कर जातिगत जनगणना कराने की गुहार लगा चुका है।
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