विदेश से मेडिकल डिग्री लेने वाले बढ़े, पर लाइसेंस पाने में छूट रहे हैं पसीने

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मेडिकल कॉलेजों की कमी और दाखिले के लिए तगड़ी जोर आजमाइश के चलते विदेश से एमबीबीएस की डिग्री पाने का चलन तेजी से बढ़ रहा है। इसी का नतीजा है कि देश में पिछले दो साल में विदेश से डिग्री पाने वालों की संख्या करीब 25 फीसदी बढ़ी है। वहीं, विदेश से डिग्री लेने के बाद देश में इलाज का लाइसेंस पाने के लिए अनिवार्य परीक्षा पास करने वालों की संख्या तेजी से कम हुई है। दो साल पहले तक जहां विदेश से डिग्री पाने वाले 25.79 फीसदी विद्यार्थियों ने यह परीक्षा पास की थी तो हाल ही में यह प्रतिशत सिर्फ 16.48 फीसदी ही रह गया है।

विदेश से डिग्री लेकर भारत में प्रैक्टिस करने के लिए सभी डॉक्टरों को स्टेट मेडिकल काउंसिल में पंजीकरण कराना होता है। न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, कनाडा जैसे कुछ देशों को छोड़कर अन्य देशों से मेडिकल डिग्री लेने वाले छात्रों को पंजीकरण से पहले फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जाम (एफएमजीई) पास करना जरूरी होता है। इसे पास करने के लिए विद्यार्थियों के पास असीमित मौके होते हैं। 

पर यह परीक्षा पास करने वालों का प्रतिशत बेहद कम रहता है। यह परीक्षा नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन कराता है। बोर्ड से वर्ष 2020 तक के जारी आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2019 में विदेश से डिग्री पाने वाले 28597 विद्यार्थी एफएमजीई में बैठे थे। इसमें से सिर्फ 7375 (25.79 प्रतिशत) विद्यार्थी ही सफल हुए। 2020 में 35774 ने यह परीक्षा दी, लेकिन सफल सिर्फ 5897 (16.48 फीसदी) ही हुए।


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