स्वावलंबन के छत्तीसगढ़ मॉडल ने लिया मूर्त रूप: धमतरी जिले ने पेश की मिसाल

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*मिलर्स को सीधे उपार्जित धान उपलब्ध कराकर बचाए 22 करोड़ रूपए 

*प्रदेश में उचित रणनीति से खरीफ विपणन में हासिल हुई कई उपलब्धियां 

स्वावलंबन के छत्तीसगढ़ मॉडल की अवधारणा को मूर्त रूप देते हुए धमतरी जिले ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है। यहां खरीफ विपणन वर्ष 2021-22 में समर्थन मूल्य पर धान उपार्जन व्यय में 22 करोड़ रूपए की बचत की गई है। जिले में समितियों से सीधे मिलर्स को उपार्जित धान उपलब्ध कराने की नीति अपनाई गई। इससे परिवहन, ड्रनेज, कैप कव्हर, मजदूरी, सूखत आदि पर होने वाले व्यय में कमी के साथ मानव श्रम और समय की बचत हुई। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेेल के कुशल नेतृत्व और मार्गदर्शन में इस खरीफ विपणन वर्ष में प्रदेश ने कई उपलब्धियां हासिल की है। उचित रणनीति और कार्ययोजना के कारण जहां किसान आसानी से बिना परेशानी अपना धान बेच पाए, वहीं रिकार्ड खरीदी का भी कीर्तिमान बना। धमतरी कलेक्टर पदुम सिंह एल्मा ने मुख्य सचिव अमिताभ जैन को पत्र के माध्यम से अवगत कराया है कि राज्य सरकार के निर्देश पर जिला स्तर समर्थन मूल्य पर धान उपार्जन हेतु व्यवस्थित और त्वरित उपार्जन व्यवस्था सुनिश्चित की गई। पंजीकृत राईस मिलर्स और उपार्जन व्यवस्था प्रभारियों का समन्वय किया गया। इससे धमतरी जिले के 96 उपार्जन केन्द्रों से राईस मिलर्स ने सीधे धान का उठाव किया। जिले के कुल 1 लाख 17 हजार 361 पंजीकृत किसानों में से प्रत्येक खरीदी दिवस में 64 प्रतिशत सीमांत, 25 प्रतिशत लघु एवं 11 प्रतिशत दीर्घ कृषकों को प्राथमिकता देते हुए धान उपार्जन किया गया। जिससे धान उपार्जन कार्य में बाधा उत्पन्न नहीं हुई और निर्बाध रूप से सभी समितियों से मार्च में तय समय-सीमा में धान का उठाव हुआ। इसके साथ ही क्रय धान की कस्टम मिलिंग भी सुनिश्चित की गई।

इस साल जिले में योजनाबद्ध ढंग से कुल उपार्जित 4,31,397 मीट्रिक टन धान को संग्रहण केन्द्र में परिवहन न कर सीधे समितियों से मिलर्स को दिया गया। इससे शत-प्रतिशत धान का उठाव निर्धारित समय-सीमा में हो गया, जिससे सभी समितियों में जीरो शार्टेज रहा। इसके अतिरिक्त जिले के मिलरों को प्रोत्साहित कर अन्य जिलों कांकेर, बालोद, गरियाबंद, बेमेतरा, राजनांदगांव तथा महासमुंद से भी 1,35,686 मीट्रिक टन धान सीधे समितियों से उठाव कराया गया। इससे खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए राज्य सरकार को लगभग 22 करोड़ रूपये से अधिक राशि की बचत हुई।


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