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बैसाखी के त्योहार को खुशहाली और समृद्धि का पर्व माना जाता है
बैसाखी के त्योहार को खुशहाली और समृद्धि का पर्व माना जाता है। हर साल ये पर्व अप्रैल के महीने में मनाया जाता है। हिंदी कैलेंडर के अनुसार इस दिन को हमारे सौर नव वर्ष की शुरुआत के रूप में भी जाना जाता है। ये पावन त्योहार भारतीय किसानों का माना जाता है। पंजाब, हरियाणा समेत उत्तर भारत के कुछ स्थानों पर बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन लोग अनाज की पूजा करते हैं और फसल के कटकर घर आ जाने की खुशी में भगवान और प्रकृति को धन्यवाद करते हैं। साथ ही इस खुशी के मौके पर लोग भांगड़ा नृत्य भी करते हैं। बैसाखी के दिन सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है। इसलिए इसे मेष संक्रांति भी कहा जाता है। ऐसे में चलिए आज जानते हैं कि इस साल बैसाखी कब है और इसे क्यों मनाया जाता है....
कब है बैसाखी?
इस साल मेष संक्रांति 14 अप्रैल गुरुवार को है। मेष संक्रांति के ही दिन बैसाखी मनाई जाती है। इस आधार पर बैसाखी 14 अप्रैल को मनाई जाएगी। इस दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं, एक दूसरे को बधाई एवं शुभकामनाएं देते हैं और खुशियां मनाते हैं।
बैसाखी क्यों मनाते हैं?
मुख्य तौर पर सिख समुदाय के बैसाखी को नए साल के रूप में मनाते हैं। बैसाखी तक रबी की फसलें पक जाती हैं और उनकी कटाई होती है, उसकी खुशी में भी ये त्योहार मनाया जाता है।
इस दिन बैसाखी मनाने के पीछे की एक वजह ये भी है कि 13 अप्रैल 1699 को सिख पंथ के 10वें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी, इसके साथ ही इस दिन को मनाना शुरू किया गया था। बैसाखी के दिन से ही पंजाबी नए साल की शुरुआत भी होती है।
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