सुप्रीम कोर्ट : बिना तर्क अदालतों का जमानत देना गलत

feature-top

सुप्रीम कोर्ट ने उच्च अदालतों के मनमाने ढंग से जमानत देने के चलन पर नाराजगी जताते हुए मंगलवार को कहा, तर्क न्यायिक प्रणाली का जीवन रक्त है। बिना तर्क के जारी हो रहे जमानत आदेश समझ से परे हैं और यह प्रवृत्ति चिंतनीय है। शीर्ष अदालत ने इसटिप्पणी के साथ ही भतीजी से दुष्कर्म के आरोपी को राजस्थान हाईकोर्ट से मिली जमानत रद्द कर दी।

सीजेआई एनवी रमण और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने कहा, ऐसा चलन देखने को मिल रहा है जब जमानत के ऐसे आदेश पारित किए जा रहे हैं जिनमें अदालतें एक सामान्य अवलोकन करती हैं कि ‘तथ्यों और परिस्थितियों’ पर विचार किया गया है। कोई विशिष्ट कारण इंगित नहीं किया जाता है। हैरत की बात है कि सुप्रीम कोर्ट में इस तरह की प्रथा को अस्वीकार करने वाले कई फैसलों के बावजूद यह स्थिति बरकरार है।


feature-top