अप्रैल में लग रहे 'राज पंचक' क्यों हैं खास? शनि के साथ बन रहा ऐसा कनेक्शन!

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भारतीय ज्योतिष में तिथि, करण, योग, वार व नक्षत्र इन सभी की विशेष भूमिका होती है। इन सभी के परस्पर मिलान से मुहूर्त का निर्माण किया जाता है। कुछ मुहूर्त शुभ माने जाते है, जिसमें सभी प्रकार के कार्य किए जाते है तो कुछ मुहूर्त अशुभता की श्रेणी में आते है। सनतान धर्म के अनुसार कोई भी शुभ कार्य शुभ समय और मुहूर्त देखकर किया जाता है, जिससे वह कार्य हमेशा सफल हो और उसमें वृद्धि हो। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार यदि अशुभ समय में या बिना मुहूर्त देखकर कोई कार्य किया जाता है तो उसमें सफलता नहीं मिलती है। पंचक काल को हिंदू धर्म और ज्योतिष में बहुत महत्व दिया गया है। कोई भी शुभ काम करने से पहले पंचक काल जरूर देखा जाता है क्योंकि इनमें शुभ काम करने की सख्त मनाही की गई है। ज्योतिषशास्त्र की मानें तो पंचक को अशुभ माना जाता है। इस दौरान कुछ ऐसे विशेष कार्य हैं जिसे करना वर्जित माना जाता है। अप्रैल महीने की बात करें तो आने वाली 25 तारीख से पंचक शुरू हो रहे हैं और यह 29 अप्रैल तक चलेंगे.

कैसे लगता है पंचक 

जब चंद्रमा का गोचर घनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती नक्षत्र में होता है तो पंचक की स्थिति उत्पन्न होती है। वहीं जब चंद्रमा का गोचर कुंभ और मीन राशि में होता है, तो भी 'पंचक' लगता है। पंचक को 'भदवा' के नाम से जाना जाता है। चंद्रमा गोचर में जब कुंभ और मीन राशि में स्थित होता है तो यह समय पंचक का माना जाता है। पंचक की समय अवधि पांच दिन की होती है। इसलिए इसे पंचक कहा जाता है।

पंचक का समय 

इस बार 25 अप्रैल 2022, सोमवार को प्रात: 05 बजकर 30 मिनट से पंचक शुरू हो रहीं हैं। जो 29 अप्रैल, शुक्रवार शाम 6 बजकर 43 मिनट पर समाप्त होगी।


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