- Home
- टॉप न्यूज़
- अन्य
- बढ़ती महंगाई से आर्थिक संकट का अंदेशा
बढ़ती महंगाई से आर्थिक संकट का अंदेशा
आर्थिक विकास के मार्ग में महंगाई एक ऐसी फांस बनकर रह गई है, जिसका तत्काल स्थायी हल उपलब्ध ही नहीं है। बढ़ती महंगाई की दर का सदैव नकारात्मक रुख होता है। यह सदैव आर्थिक संकट का अंदेशा पैदा करती है। इससे गरीबों की क्रय क्षमता कम हो जाती है, तो अमीरों के वित्तीय निवेश का मूल्य भी घट जाता है। पिछले काफी समय से गरीबों और अमीरों के बीच की आर्थिक खाई लगातार बढ़ रही है। ऐसे में महंगाई का प्रति वर्ष नए रिकॉर्ड बनाना, गरीबों के जीवन को और दूभर बनाता है।
इसके अलावा, महंगाई सरकार के वित्तीय खर्च भी बढ़ाती है, क्योंकि सरकार को सामाजिक कल्याण योजनाएं चलानी पड़ती हैं। सामान्यतः किसी भी पदार्थ का मूल्य उसके उत्पादन लागत में वृद्धि के कारण होता है। इसमें कच्चा माल, मजदूरी, कुछ अन्य प्रत्यक्ष खर्च भी शामिल होते हैं। हालांकि महंगाई से होने वाला मुनाफा अंततः समाज के विभिन्न वर्गों में ही विभाजित होता है। चाहे सरकार द्वारा एकत्रित कर हो या किसी कंपनी का मुनाफा, उससे उसके अंशधारकों को लाभांश मिलता है या कर्मचारियों की वेतन वृद्धि होती है।
About Babuaa
Categories
Contact
0771 403 1313
786 9098 330
babuaa.com@gmail.com
Baijnath Para, Raipur
© Copyright 2019 Babuaa.com All Rights Reserved. Design by: TWS