कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक: अब परिवारवाद के आरोपों से भी पीछा छुड़ाना चाहती है कांग्रेस

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चिंतन शिविर के बहाने कांग्रेस के नट बोल्ट कसने के साथ ही पार्टी परिवारवाद के आरोपों से भी पीछा छुड़ाना चाहती है। विभिन्न विषयों पर लोगों की राय जुटाने के लिए बनाए गए समूहों के संयोजकों के साथ सीडब्लूसी से पहले हुई कांग्रेस अध्यक्ष की बैठक में एक व्यक्ति एक पद और एक परिवार एक टिकट के फार्मूले का कड़ाई से पालन करने की बात उठाई गई।

समूह के सदस्यों ने कांग्रेस अध्यक्ष से मुलाकात में कुछ सुझाव भी दिए हैं। कांग्रेस पार्टी की कमेटियों में 50 फीसदी स्थान एससी-एसटी और ओबीसी नेताओं को दी जाने की मांग की गई है। इस बैठक में अंबिका सोनी, सलमान खुर्शीद, केसी वेणुगोपाल, मलिकार्जुन खरगे आदि शामिल रहे.

कांग्रेस के 'चिंतन शिविर' से पहले पार्टी के संगठनात्मक मामलों से संबंधित कार्य समूह ने सुझाव दिया है कि अधिकतम पांच साल के कार्यकाल के बाद अखिल भारतीय और राज्य इकाइयों के पदाधिकारियों को आराम दिया जाना चाहिये। सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी।

मुकुल वासनिक की अध्यक्षता वाले कार्यकारी समूह ने 'एक व्यक्ति, एक पद' के फार्मूले को अपनाने सहित संगठन में बदलाव के लिए कई सिफारिशें की हैं। कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) ने सोमवार को अपनी बैठक में सिफारिशों पर चर्चा की। इन सिफारिशों पर पार्टी के नेता 13 से 15 मई तक राजस्थान के उदयपुर में होने वाले 'चिंतन शिविर' में विचार करेंगे और अंतिम फैसला लेंगे।

समिति ने सुझाव दिया कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) और प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) के सभी पदाधिकारियों का अधिकतम कार्यकाल पांच साल का होना चाहिए, इसके बाद उन्हें तीन साल का आराम दिया जाना चाहिए।


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