कांग्रेस : चिंतन से मंथन तक.....

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कांग्रेस चिंतन शिविर के बाद पार्टी अब टॉप टू बॉटम बड़े बदलाव की तैयारी में है। कांग्रेस में अब एक परिवार से एक ही व्यक्ति को टिकट और पद मिलेगा। अजय माकन ने कहा हमारे पैनल में यह चर्चा हुई है एक व्यक्ति एक पद के फार्मूला को लागू किया जाए। इसके तहत अब पार्टी में एक परिवार से एक ही व्यक्ति को ही टिकट देने पर चर्चा हुई है। जिसे भी टिकट दिया जाए उसने कम से कम 5 साल पार्टी में काम किया हो। सीधे टिकट नहीं दिया जाए। इसके अलावा पार्टी में लगातार किसी को 5 साल के बाद पद नहीं दिया जाए, कम से कम 3 साल का कूलिंग पीरियड रहे। तीन साल के गैप के बाद ही आगे कोई पद दिया जाए।

तीन दिन चलने वाले इस शिविर में देश की सबसे पुरानी पार्टी का भविष्य तय होगा। कांग्रेस से जुड़े विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि यह शिविर अब तक हुए आम शिविरों की तरह नहीं है। शिविर की शुरुआत दोपहर तीन बजे से ग्रुप डिस्कशन के साथ होगी। इससे पहले दोपहर 2 बजे सोनिया गांधी वेलकम स्पीच देंगी।

कांग्रेस ने पिछले कुछ वर्षों में अपने प्रदर्शन को देखते हुए यह तय किया है कि अगर अब भी पार्टी को मजबूत नहीं किया गया तो देर हो जाएगी। ऐसे में इस शिविर में कई बड़े अहम, कड़े और चौंकाने वाले निर्णय हो सकते हैं। इसमें संगठन से लेकर नेतृत्व और नीति तक सबकुछ शामिल है। माना जा रहा है कि नव संकल्प नाम की ही तर्ज पर इस शिविर के बाद एक नई कांग्रेस देखने को मिल सकती है। शिविर में कुछ इस तरह के कड़े निर्णय भी लिए जा सकते हैं जिससे शायद कांग्रेस में सभी खुश ना हो।

 

नेतृत्व सबसे बड़ा सिरदर्द

इस वक्त कांग्रेस के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द नेतृत्व है। कांग्रेस में लगातार नेतृत्व को लेकर सवाल उठते रहे हैं। कई वरिष्ठ नेता पार्टी की जिम्मेदारी गैर-गांधी को देने की वकालत कर चुके हैं। वहीं कईयों का मानना है कि नेता गांधी परिवार से ही होना चाहिए। गांधी परिवार में भी सोनिया और राहुल को लेकर भी कांग्रेस बंटी नजर आती है। ऐसे में इस शिविर में नेतृत्व को लेकर सैद्धांतिक सहमतियां हो सकती हैं।

कांग्रेस संगठन पिछले कुछ समय में काफी कमजोर हुआ है। लगातार नेताओं का पार्टी छोड़कर जाना, अंदरूनी गुटबाजी, अविश्वास सहित कई खामियां हैं। ऐसे में इन खामियों को दूर करने को लेकर महत्वपूर्ण और कड़े निर्णय कांग्रेस ले सकती है। शिविर के बाद कांग्रेस संगठन का अंदरूनी ढांचा पूरी तरह बदल सकता है।

देश के आर्थिक, सामाजिक हालातों पर कांग्रेस लगातार बीजेपी को तो घेरती है। मगर उसका रिजल्ट चुनावों में वोट के रूप में कांग्रेस को नहीं मिलता है। ऐसे में देश के वर्तमान माहौल को देखते हुए कैसे जनता के बीच विश्वास बनाया जा सकता है। उसे लेकर अहम निर्णय होंगे। खासतौर से महिला, युवा, किसान, दलित और आदिवासी वोटर्स को लेकर अहम निर्णय पारित हो सकते हैं।


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