निर्यात पर रोक से कम होंगे गेहूं के दाम, जमाखोरी पर भी लगेगी लगाम

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गेहूं के निर्यात पर रोक लगने के बाद अब दामों पर ब्रेक लगा है। दाम बढ़ने की आस में व्यापारियों ने गेहूं का स्टॉक करना शुरू किया तो किसान भी इसी उम्मीद में गेहूं सहेजने लगे कि दाम और ऊपर जाएंगे। इसी का परिणाम था कि सरकारी क्रय केंद्रों पर खरीद का लक्ष्य चार प्रतिशत तक भी नहीं पहुंच सका। हालांकि इन केंद्रों पर अब खरीद बढ़ने की उम्मीद है।

रूस व यूक्रेन युद्ध का गेहूं के दामों पर भारी असर पड़ा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गेहूं के दाम 40 प्रतिशत तक बढ़ गए। भारत ने इसका फायदा उठाते हुए अप्रैल में रिकॉर्ड 14 लाख मीट्रिक टन गेहूं का निर्यात किया। इसका किसानों को भी खूब लाभ मिला। मगर निर्यात की वजह से भारत में गेहूं का दाम लगातार बढ़ रहा है। वर्तमान में गेहूं का बाजार भाव 2,400 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया तो आटा 35 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया है। जमाखोरी बढ़ने लगी और उपभोक्ता परेशान। ऐसे में सरकार ने गेहूं का निर्यात बंद करने का निर्णय ले लिया। अपर आयुक्त खाद्य अरुण कुमार सिंह कहते हैं कि अब सरकारी केंद्रों पर भी खरीद तेज होने की उम्मीद जगी है। इससे जमाखोरी पर भी लगाम लगेगी।


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