फर्जी डिग्री मामले की जांच की जद में आया HPPERC

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मानव भारती विश्वविद्यालय की ओर से बेची गई फर्जी डिग्रियों के मामले में निजी शिक्षण संस्थान विनियामक आयोग भी जांच की जद में आ गया है। पुलिस की विशेष जांच टीम (एसआईटी) आयोग के कर्मचारियों और अधिकारियों को पूछताछ के लिए बुला रही है। एसआईटी जानना चाह रही है कि विश्वविद्यालय वर्ष 2010 से इस फर्जीवाड़े को चला रहा था, तब से लेकर अब तक विनियामक आयोग ने इस मामले में क्या कार्रवाई की है।

पुलिस जांच में पाया गया है कि फर्जी डिग्री का जाल देश के 12 राज्यों में फैला है। 43,000 फर्जी डिग्रियां भी बरामद की गई हैं। आरोप है कि इससे विश्वविद्यालय के मालिक राजकुमार राणा ने करोड़ों रुपये की कमाई की है। गौर हो कि फर्जी डिग्री मामले की शिकायत निजी शिक्षण संस्थान विनियामक आयोग ने की है और इसके आधार पर ही मामला दर्ज हुआ है। पुलिस सूत्रों के अनुसार शैक्षणिक सत्र खत्म होने के बाद विश्वविद्यालय से फर्जी डिग्रियों का आवंटन शुरू हो जाता था। ऐसे में शुरुआती दौर पर इस विश्वविद्यालय पर कार्रवाई होती हो, तो इतना बड़ा फर्जीवाड़ा नहीं होता।

एसआईटी का मानना है कि यह सब जांच का विषय है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए एसआईटी निजी शिक्षण संस्थान विनियामक आयोग के कर्मचारियों और अधिकारियों का रिकॉर्ड खंगालने में जुट गई है। एसआईटी को पुख्ता सुबूत मिले हैं कि जिन कोर्सों को करवाने की विवि को अनुमति नहीं मिली थी, उन कोर्सों की भी फर्जी डिग्रियां बनाकर बेची गईं। इसे एसआईटी ने चार्जशीट में भी शामिल किया है। ऐसे कोर्सों की फर्जी डिग्रियां भी बरामद की गई हैं।


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