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कश्मीर में पत्थर से गोली तक चलने में होता था यासीन मलिक का हाथ
यासीन मलिक को एनआईए कोर्ट ने दो मामलों में उम्रकैद और पांच अन्य मामलों में 10 साल कैद की सजा सुनाई है। यासीन मलिक कश्मीर में पत्थरबाजी से लेकर गोली चलवाने तक के लिए फंडिंग करता था।
जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता और आतंकी यासीन मलिक को अदालत ने टेरर फंडिंग के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई है। अब यासीन मलिक को पूरी उम्र जेल में काटनी होगी। दरअसल दो मामलों में उसे उम्रकैद और पांच अन्य मामलों में 10 साल कैद की सचा सुनाई गई है। एनआईए कोर्ट में उसने अपना जुर्म कबूल किया था और यह भी कहा था कि वह सजा को चुनौती नहीं देगा। मलिक आतंकी घटनाओं और कश्मीर घाटी में युवाओं को आतंकी बनाने का भी जिम्मेदार है। वह युवाओं को पत्थरबाजी से लेकर गोली चलाने तक की ट्रेनिंग दिलवाता था।
जेकेएलएफ चीफ यासीन मलिक पर यूएपीए, एंटी टेरर लॉ और देशद्रोह जैसी कई धाराएं लगाई गई थीं। मलिक पर 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
आतंकी संगठनों के साथ मिल रचता था साजिश
यासीन मलिक कई आतंकी संगठनों की फंडिंग का काम करता था। यह फंडिंग वह गैरकानूनी माध्यम से देश के अंदर और बाहर से इकट्ठा करता था। आतंकवाद के लिए यह फंड लश्कर-ए-तैयबा के हाफीज सईद, हिजबुल मुजाहिद्दीन और दुख्तरन-ए-मिलात जैसे आतंकी संगठनों को दिया जाता था। जांच के मुताबिक कश्मीर घाटी में आतंकवादी घटनाओं के लिए यह फंड इकट्ठा किया जाता था जिसका इस्तेमाल पत्थरबाजी, सुरक्षाबलों पर हमला करवाने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने में होता था।
हुर्रियत के साथ मिल बनाया था ग्रुप एनाईए के मुताबिक मलिक ने हुर्रियत नेताओं के साथ मिलकर 'जॉइंट रजिस्टैंस लीडरशिप' बनाया था जिसके तहत उसने लोगों को विरोध प्रदर्शन करने, हड़ताल करने, शटडाउन और रोड ब्लॉक करने के लिए भड़काया करता था। वह कश्मीर घाटी में शांति भंग करने का हर प्रयास करता था और इसके लिए फंडिंग भी करवाता था। 1990 में वायुसेना के जवानों की हत्या का भी केस। मलिक पर कई और भी केस चल रहे हैं। इसमें 1990 में वायुसेना के जवानों पर आतंकी हमला, और जम्मू कश्मीर के तत्कालीन गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी का अपहरण का भी मामला है। मलिक पर आरोप है कि उसने अन्य आतंकियों के साथ मिलकर एयरपोर्ट जाने के लिए बस का इंतजार कर रहे वायुसेना के जवानों पर अचानक गोली चलाई थी जिसमें कम से कम 40 जवान घायल हुए थे चार जवान शहीद हो गए थे।
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