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चहेती कंपनियों के फायदे के लिए नियम-कानून ताक पर, मेडिकल सप्लाई कॉरपोरेशन में ‘खेल’
उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लाई कॉरपोरेशन (यूपीएमएससीएल) में गजब खेल चल रहा है। यहां एक्सपायर्ड दवाओं के मामले की अभी जांच चल ही रही थी कि इस बीच उपकरणों की खरीद में चहेती कंपनियों को फायदा पहुंचाने का भी खुलासा हुआ है। जिस फर्म के उपकरण को गुणवत्ताविहीन बताकर टेंडर से बाहर कर दिया गया, दोबारा उसी को टेंडर में शामिल कर उपकरण खरीदने की कोशिश की जा रही है। यह खुलासा खुद कॉरपोरेशन की टेक्निकल कमेटी ने किया है। कमेटी ने पूरे मामले की शिकायत कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक और स्वास्थ्य महानिदेशक से की है।
प्रदेश के सभी अस्पतालों में ब्लड बैंक हैं और कुछ अस्पतालों में स्थापित किए जा रहे हैं। इन ब्लड बैंकों के लिए उपकरणों की खरीद कॉरपोरेशन के जरिए होती है। उपकरणों की गुणवत्ता की खरीद के लिए टेक्निकल कमेटी बनी हुई है। इस कमेटी में एसजीपीजीआई, लोहिया संस्थान, केजीएमयू और सिविल अस्पताल के ब्लड बैंक के प्रभारी शामिल हैं।
कमेटी का आरोप है कि कॉरपोरेशन में कार्यरत महाप्रबंधक (इक्यूपमेंट) उज्जवल मानकों को दरकिनार कर मनचाहे तरीके से उपकरण खरीदने के लिए दबाव बनाते हैं। यह दबाव प्रबंध निदेशक के नाम पर बनाया जाता है। कमेटी ने आरोप लगाया है तकनीकी मूल्यांकन और प्रस्तुतीकरण के आधार पर उपकरणों की खरीद केलिए नवंबर 2021 में तीन फर्म चुनी गईं। इसमें एक फर्म को फाइनल किया गया। लेकिन बाद में कॉरपोरेशन के नियमों का हवाला देकर महाप्रबंधक (इक्यूपमेंट) ने प्रक्रिया को निरस्त कर दिया। मई 2022 में दोबारा टेंडर प्रक्रिया अपनाई गई। इसमें दो ऐसी फर्म को शामिल कर लिया गया, जिन्हें पहली बार में रिजेक्ट किया गया था।
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