किसान ने 75 बीघा भूमि पर उगा दिया 13 हजार देवदार का हरा-भरा जंगल

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पेड़ लगाना बड़ी बात नहीं है। इनकी बच्चों की तरह देखभाल करना इससे भी जरूरी है। हालांकि, हर साल लोग पेड़ लगाते हैं। कई बार पौधरोपण अभियान महज सामाजिक कार्यक्रम का हिस्सा बन रहा है। यहां तक कि कई अभियान फोटो खिंचवाने तक ही सीमित रह गए हैं। हिमाचल प्रदेश के सिरमौर में एक ऐसे शख्स भी हैं जो इस तरह के कार्यक्रमों का हिस्सा न बनकर सिर्फ पेड़ लगाते रहे हैं। अपनी जमीन पर उगाए इन पेड़ों ने आज जंगल का रूप धारण कर लिया है। यहां बात हो रही है सिरमौर के राजगढ़ उपमंडल की शिलांजी पंचायत के राजिंद्र वर्मा की। 

कनोग गांव के रहने वाले 64 वर्षीय वर्मा पेशे से किसान हैं। 15 साल की उम्र से ही उन्होंने पेड़ लगाने का काम किया। आज उनकी 75 बीघा भूमि पर 13,000 देवदार के पेड़ जंगल का रूप ले चुके हैं। दसवीं करने के बाद ही उन्होंने पेड़ लगाने का कार्य जारी रखा। उन्होंने अपनी जमीन पर पेड़ लगाकर पर्यावरण संरक्षण को लेकर वह कार्य किया है जो पढ़े-लिखे लोग भी शायद ही कर पाते हों। यह सब कार्य उन्होंने सामाजिक चर्चा के लिए नहीं, बल्कि पर्यावरण को बचाने के लिए आज भी जारी रखा है।

11 नवंबर 1958 में जन्में राजिंद्र सिंह ने अपने पिता नयन सिंह से पर्यावरण संरक्षण की सीख ली। पिता नयन सिंह दो बार पंचायत प्रधान भी रहे, जिनका दो साल पहले ही 95 साल की उम्र में निधन हुआ। वह एक-एक पेड़ लगाते रहे और इस मुहिम से उन्होंने अपने पूरे परिवार को भी जोड़ा। राजिंद्र वर्मा अपने पिता से सीख लेकर प्रतिवर्ष सैकड़ों पेड़ लगाने का कार्य कर रहे हैं। बता दें कि एशिया में पीच वैली के नाम से मशहूर राजगढ़ इलाके में आड़ू ही नहीं, खुमानी, सेब, प्लम और बादाम के लिए भी जलवायु अनुकूल है।... नकदी फसलें उगाकर अपनी आर्थिकी बढ़ाने के बजाय उन्होंने देवदार का जंगल उगाने को तरजीह दी। देवदार के जंगल के अलावा वह चीड़ का जंगल भी तैयार कर रहे हैं। वन अरण्यपाल सरिता द्विवेदी ने बताया कि इस तरह का कार्य बेहद सराहनीय है। उन्होंने बताया वन विभाग वन महोत्सव के दौरान उन्हें कार्यक्रम में आमंत्रित करेगा। ऐसे शख्स लोगों के लिए मिसाल से कम नहीं हैं।


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