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Kidney Racket: डोनर, रिसीवर के कागजात तक जला देते थे आरोपी
किडनी रैकेट मामले में दिल्ली के हौजखास थाना पुलिस की जांच में नया खुलासा सामने आया है। जांच में पता लगा है कि आरोपी किडनी प्रत्यारोपण के बाद डोनर व रिसीवर दोनों के कागजात तक जला देते थे। दूसरी तरफ ये भी पता लगा है कि आरोपी अस्पताल तक डोनर को आंखों में पट्टी बांधकर ले जाते थे। पुलिस रिसीवर भेजने वाले मास्टरमाइंड समेत दो आरोपियों की तलाश कर रही है।
खास बात ये है कि किडनी ट्रांसप्लांट गिरोह को दसवीं पास मास्टरमाइंड कुलदीप उर्फ केडी ऑपरेट करता था। बाकी डॉक्टर उसके अंडर में काम करते थे। मगर अभी तक की जांच में ये बात सामने आई है कि किडनी प्रत्यारोपण के सभी ऑपरेशन सफल हुए हैं। दक्षिण जिले के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आरोपी किडनी देने वाले के किस लैब में टेस्ट कराए हैं, कौन-कौन से टेस्ट हुए हैं और किडनी किसको दी है आदि सभी कागजात को जला देते थे। ऐसा सबूत मिटाने के लिए करते थे।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि आरोपी कुछ पीड़ितों को अस्पताल तक आंखों में पट्टी बांधकर ले गए है। ये पीड़ितों को मोबाइल आदि अपने पास रख लेते थे और उसे देते नहीं थे। ये पीड़ित को किडनी लेने से लेकर प्रत्यारोपण तक बाहर नहीं जाने देते थे। ठीक होने के बावजूद उसे बाहर घूमने नहीं निकलने देते थे। पुलिस अधिकारियों के अनुसार ये किडनी प्रत्यारोपण का सैटअप दूर-दराज वाली जगहों पर बनाते थे।
नोएडा व गुरुग्राम में चल रहे थे अस्पताल
दक्षिण जिला पुलिस अधिकारियों के अनुसार किडनी रैकेट के आरोपी पहले दूसरे गिरोह के सदस्य थे। इस दूसरे गिरोह ने नोएडा, गुरुग्राम व जयपुर में किडनी प्रत्यारोपण के लिए सेटअप लगा हुआ था। हौजखास पुलिस गिरोह के मास्टरमांइड कुलदीप उर्फ केडी पूछताछ कर पहले गिरोह के बारे में पता कर रही है। कुलदीप ने गिरोह में शामिल डा. सौरभ मित्तल व डा. प्रियांश शर्मा को तनख्वाह पर रखा हुआ था। वह इन दोनों को प्रति किडनी ट्रांसप्लांट का एक-एक लाख रुपये देता था।
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