अटाला की सड़कों-गलियाें में बिखरे मिले बवाल के निशान, हर तरफ खौफ का सन्नाटा

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अटाला की जिन गलियों में शुक्रवार को पांच घंटे तक लगातार पत्थर बरसते रहे, वहां अब 24 घंटे बाद घरों में खौफ और सन्नाटा पसरा है। पत्थरबाजी, आगजनी और उपद्रव के निशान अब भी इलाके में जस के तस पड़े हैं। बवाल के वक्त तोड़फोड़ और आगजनी का शिकार बनीं मोटर साइकिलें, कारें अटाला की सड़कों पर जस की तस पड़ी हैं। पुलिस की सख्ती के बाद भागते पैरों से छूटी चप्पलें और साइकिलें भी गलियों में दिख जाएंगी। हमेशा गुलजार रहने वाले अटाला में हर तरफ ऐसा सन्नाटा पसरा मिला, जैसे कर्फ्यू लगा हो। 

शनिवार को अटाला के हालात पर बात करने के लिए यहां रहने वाला कोई तैयार नहीं दिखा। अधिकतर लोग घरों में कैद रहे। भीड़ से ठसमठस रहने वाले अटाला में घरों की खिड़कियां और दरवाजे बंद मिले। बीच-बीच में सूनी सड़कों पर पुलिस-पीएसी के दौड़ते वाहनों के गूंजते सायरन ही यहां पसरे सन्नाटे को तोड़ रहे थे। अटाला में जहां बवाल हुआ वहां से महज सौ मीटर की दूरी पर रहने वाले फैयाज अहमद बुड्ढा ताजिया के पास उदास खड़े नजर आए। काफी कुरेदने के बाद वह कहते हैं कि कितना अच्छा चल रहा था। क्या कहा जाए कि किसकी नजर लग गई। 

बुलडोजर चलने की आहट से सहमे।

सूनी सड़कों पर इक्का-दुक्का जो लोग मिले, उनके बीच भी कई तरह की आशंका देखी गई। कोई कह रहा है कि घरों-मकानों पर बुलडोजर चलेंगे तो कोई सख्ती का अंदाजा लगाकर डरा हुआ है। शौकत अली मार्ग पर ही पुलिस-पीएसी के गश्त के बीच मोइनुद्दीन अहमद मिलते हैं। अटाला में उपद्रव की बात शुरू होते ही वह कहते हैं कि इस घटना से अटाला के लोगों का ताल्लुक नहीं है। इस बवाल का बीजारोपण करने वाले असल में वो कौन लोग थे, उनको चिह्नित किया जाना चाहिए। कोई फूलपुर से आया था तो कोई रसूलपुर से। अटाला के जिन लोगों ने भी झगड़ा -फसाद करने वालों को रोका, वह उनसे ही उलझने लगे। फिलहाल अटाला में चाहे शौकत अली मार्ग हो या फिर मिर्जा गालिब रोड।

संगमनगरी के अमन-चैन में खलल न पड़ने दें शहर काजी रहे मुस्लिम धर्मगुरु कारी मकबूल अहमद हवीबी ने शहर में अमन-चैन बनाए रखने की अपील की है। उन्होंने कहा कि किसी भी दशा में माहौल नहीं बिगड़ने देना चाहिए। यह हर शख्स की जिम्मेदारी बनती है। उन्होंने लोगों से आपसी प्रेम-सद्भाव को बनाए रखने की अपील की।


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