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समय चक्र : क्या यह स्त्री चेतना का युग है? सांस्कृतिक परंपराओं का प्रतिनिधित्व करती नारियां
हम क्या महिला युग में जी रहे हैं? एक महिला ने कहा कि गीताजंलि श्री को बूकर पुरस्कार मिलने से क्या भारत में महिलाओं का युग आ गया? क्या यह पुरुषों का अहं है कि वे महिलाओं की उत्तरोत्तर प्रगति का संज्ञान तब तक नहीं लेते, महिला की मेधा का लोहा मानने को तब तक तैयार नहीं होते, जब तक कि पानी सिर से न उतर जाए, यानी असाधारण कुछ न हो जाए? महिलाएं भी कुछ कर गुजर सकती हैं, ऐसा तो हम सोचते ही नहीं। महिलाएं भी कुछ उल्लेखनीय रच सकती हैं, हमारे भीतर बैठा सामंती शैतान यह मानने को तैयार ही नहीं।
ज्ञान-विज्ञान, कला-संस्कृति, मीडिया-सिनेमा, समाज-राजनीति, खेल-पहलवानी, कौन-सा क्षेत्र है, जहां वे पुरुषों का मुकाबला नहीं कर रहीं? आज स्त्री के कदम आसमान की ऊंचाई नाप रहे हैं। योग और चिकित्सा में महिला-गुरुओं की संख्या निरंतर बढ़ रही है। माना कि उनकी सेवाओं का गौरवशाली इतिहास अपेक्षित और उचित सम्मान नहीं पा सका। लेकिन ऐसा उनके स्त्री होने के कारण कम हुआ, उन पर लगाई गई पुरुषों की वर्जनाओं के कारण अधिक हुआ। इतिहास से उनकी सेवाओं का फल उन्हें नहीं मिला, उनके कर्म-कौशल की अनदेखी की गई, लेकिन आज वे रच तो गौरवशाली इतिहास ही रही हैं।
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