ब्रिक्स सम्मेलन: बेशक भारत पश्चिम के साथ है

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ब्रिक्स भारत के लिए गैर-पश्चिमी देशों से जुड़ने का एक महत्वपूर्ण मंच बनकर उभरा है। यह भारत की बहुपक्षीय नीति को बल देता है, जहां भारत अपने राष्ट्रीय हित के लिए प्रासंगिक सभी ताकतों से जुड़ता है। इस बार ब्रिक्स शिखर सम्मेलन बेहतर परिस्थितियों में हुआ। बेशक भारत पश्चिम के साथ है, क्योंकि यह अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया के साथ क्वाड का सक्रिय सदस्य है। लेकिन इसने संयुक्त राष्ट्र समेत अन्य मंचों से दूरी नहीं बनाई है, जहां इसे दबावों का सामना करना पड़ा है, और गंभीर आर्थिक प्रतिबंधों की धमकियां भी मिली हैं।

यही नहीं, इसने रूसी रक्षा उपकरणों को खरीदना जारी रखा है और रियायती दर पर रूसी तेल खरीदने का बीड़ा उठाया है। भारत के खिलाफ धमकियां अब तक कामयाब नहीं हो पाई हैं। विदेशमंत्री एस. जयशंकर ने पश्चिम से कहा, खासकर यूरोप से, कि इस तरह सोचना बंद कीजिए कि यूरोप की समस्या वैश्विक समस्या है और सबको इसका पालन करना चाहिए, विशेष रूप से उन देशों को, जिन्हें उसने अतीत में उपनिवेश बनाया और उनका शोषण किया


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