काटने के एक हफ्ते बाद खेतों में फिर तैयार हो रहा पशुचारा, कृषि विज्ञान केंद्र धौलाकुआं में प्रयोग सफल

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पशुचारे की गंभीर समस्या से जूझ रहे हिमाचल के किसानों के लिए अच्छी खबर है। इस साल पूरे उत्तरी भारत में पशुचारे का संकट पैदा हुआ है। प्रदेश भी इस समस्या से गुजर रहा है। मौजूदा समय में चारे का दाम दो हजार रुपये क्विंटल के करीब पहुंच गया है। इसी समस्या को देखते हुए कृषि विज्ञान केंद्र ने अपनी जमीन में संकर उन्नत किस्म चारे की दो किस्मों न्यूट्रीफीड और न्यूट्रीफास्ट का बीज उगाया। नतीजा ये रहा कि अप्रैल माह के प्रथम सप्ताह में इसकी बिजाई की गई थी। मई माह में यह चारे के लिए प्रयोग में लाया जाने लगा। अब तक सुबह और शाम इसकी कई बार कटाई हो चुकी है। चारे का प्रयोग कृषि विज्ञान केंद्र में पाले जा रहे 30 मवेशियों के लिए किया जा रहा है। इसकी खासियत ये है कि काटे जाने के हफ्ते-दस दिन के भीतर ये दोबारा काटने के लिए तैयार हो रहा है। ।।।। कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी और प्रधान वैज्ञानिक डॉ. पंकज मित्तल ने बताया कि न्यूट्रीफीड और न्यूट्रीफास्ट दोनों ही हाइब्रिड के पशुचारों में शुमार है। न्यूट्रीफीड चारे की पैदावार अन्य ज्वार से 50 फीसदी अधिक है। इसकी कटाई चार से छह बार की जा सकती है। इसमें प्रोटीन की मात्रा 12 से 16 फीसदी ज्यादा है। ज्यादा पचनशील, अधिक मिठास और चबाने में काफी नरम है। एक एकड़ जमीन पर पांच किलो बीज से पशुचारे का संकट दूर हो सकता है। किसानों पर आर्थिक मार नहीं पड़ेगी। दूध का उत्पादन भी बढ़ेगा।
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