राष्ट्रपति चुनाव : आदिवासी क्षेत्रों में भाजपा को मिल सकती है सियासी बढ़त, जानें कहां कितने आदिवासी

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राष्ट्रपति चुनाव में देश के तीसरे सबसे बड़े जनजातीय वर्ग संथाल समुदाय से द्रौपदी मुर्मू की उम्मीदवारी के जरिये भाजपा की नजर आदिवासी समुदाय से है। देश की कुल आबादी में 8.67 फीसदी आदिवासी हैं। मुर्मू राष्ट्रपति बनीं तो राजनीतिक पार्टियां आदिवासियों को नजरअंदाज नहीं कर सकेंगी। चूंकि देश की प्रथम नागरिक इस वर्ग से होंगी भाजपा को भी आदिवासी बहुल प्रदेशों के विधानसभा चुनाव में फायदा होगा

राजनीतिक पंडितों का मानना है कि मुर्मू को उम्मीदवार बनाकर भाजपा ने सर्वप्रथम महिला और फिर आदिवासी प्रभाव के दो ट्रंप कार्ड खेले हैं। पार्टी की निगाहें आदिवासी प्रभाव वाले 13 राज्यों और आदिवासी वर्ग के 12 करोड़ मतदाताओं पर है। मुर्मू की उम्मीदवारी के जरिये पार्टी चार राज्यों ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश में क्षेत्रीय दलों की चुनौतियों से पार पाने की जुगत में लगी है। 

इसके अलावा पार्टी को मुर्मू की उम्मीदवारी से पूर्वोत्तर के चार राज्यों के अलावा मध्यप्रदेश, गुजरात, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, झारखंड छत्तीसगढ़ में सियासी लाभ मिलने की उम्मीद है।

कहां कितने आदिवासी पूर्वोत्तर में इस बिरादरी की असम (12 फीसदी), मेघालय (86 फीसदी), त्रिपुरा (31 फीसदी) और मिजोरम (95 फीसदी) में प्रभावशाली उपस्थिति है। इसके अलावा इस वर्ग की आबादी झारखंड में 27 फीसदी, छत्तीसगढ़ में 30, मध्यप्रदेश में 21, ओडिशा में, राजस्थान में 14, गुजरात में 8, बंगाल में छह फीसदी और हिमाचल में भी करीब छह फीसदी है। ब्यूरो


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