सभी वाणिज्यिक और आवासीय संपत्तियों को कर के दायरे में लाए निगम, उपराज्यपाल का निर्देश

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उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने दिल्ली की सभी वाणिज्यिक और आवासीय संपत्तियों को कर के दायरे में लाने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा है कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण, अनुचित और अव्यवहारिक है कि दिल्ली के 65% क्षेत्र में स्थित संपत्तियां कर दायरे के बाहर हैं और केवल 35% अधिकृत इलाकों में रहने वाले निवासी जो कि 11 लाख घरों में रहते हैं, वही संपत्ति कर देते हैं।

उपराज्यपाल ने दिल्ली नगर निगम के अधिकारियों के साथ हुई महत्वपूर्ण मीटिंग के दौरान कहा कि पूरी दिल्ली के निवासी एमसीडी की सुविधाओं का लाभ उठाते हैं। ऐसे में न्याय संगत होगा कि दिल्ली के सभी नागरिक अपनी वित्तीय स्थिति और संपत्ति के अनुसार स्वयं मूल्यांकन कर उचित दरों पर संपत्ति कर का भुगतान करें। इस उद्देशय की पूर्ति के लिए उन्होंने अधिकारियों को संपत्तिकर पंजीकरण के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले प्रपत्रों और प्रणाली को सरल बनाने और इसे आधार से जोड़ने के लिए कहा।

उपराज्यपाल ने एमसीडी के विशेष अधिकारी अश्वनी कुमार और आयुक्त ज्ञानेश भारती से कहा कि दिल्ली वासियों, खासकर आरडब्ल्यूए को विश्वास में लेने की दिशा में काम शुरू करें। ताकि लोगों की चिंताओं को दूर किया जा सके। उन्होंने कहा कि इस तरह की साझेदारी से न केवल पार्दशिता आएगी, बल्कि कर संग्रह भी बढ़ेगा। इससे लोगों को बेहत्तर सुविधाएं और सेवाएं मुहैया कराई जा सकेंगी। उपराज्यपाल ने कहा कि एमसीडी को अपने राजस्व को बढ़ाने के लिए हरसंभव प्रयास करना होगा और एमसीडी को रेड फाइनेंशियल स्टेटस से मजबूत ग्रीन स्टेटस में बदलना होगा।

एमसीडी की सभी सेवाएं आईटी से जोड़ी जाएं उपराज्यपाल ने एमसीडी को अपनी सभी सेवाएं और नियामक प्रक्रियाएं 31 जुलाई तक आईटी से जोड़ने का निर्देश दिया। उन्होंने एमसीडी द्वारा किए जा रहे आईटी कार्यों की समीक्षा करते हुए कहा कि जन्म और मृत्यु का पंजीकरण, संपत्ति कर, ई-म्यूटेशन, भवन योजना स्वीकृति, लेआउट अनुमोदन, लाइसेंस, कनर्वजन और पार्किंग शुल्क, विज्ञापन और होर्डिंग शुल्क संग्रह, शमशान और कब्रिस्तान और कचरा वाहनों की ट्रैकिंग इत्यादि, जिसे अलग-अलग कम्प्यूटरीकृत करने की योजना है, उनको एक ही प्लेटफार्म पर उपलब्ध कराया जाए।


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