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अर्थव्यवस्था: छोटी बचत पर ब्याज दर बढ़ाने की जरूरत
यकीनन इस समय देश में छोटी बचत करने वाले करोड़ों लोग छोटी बचत योजनाओं पर मिलने वाली कम ब्याज दर के कारण बढ़ती महंगाई की चुनौती का सामना कर रहे हैं। यह उम्मीद की जा रही थी कि जिस तरह पिछले दो-तीन महीनों में स्थायी जमा (एफडी) के साथ-साथ अन्य ब्याज दरों में वृद्धि हो चुकी है, उसी तरह जुलाई से सितंबर 2022 के लिए छोटी बचत योजनाओं पर मिलने वाली ब्याज दरों में बढ़ोतरी की जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है। जब तक महंगाई का दौर बना रहे, तब तक छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दर में कुछ वृद्धि कर दी जाए, तो एक बड़े वर्ग को राहत मिल सकती है।
गौरतलब है कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की वजह से कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और वस्तुओं की आपूर्ति बाधित होने से कीमतों में तेज वृद्धि से पूरी दुनिया के साथ-साथ भारत में भी महंगाई तेजी से बढ़ रही है। मई, 2022 में थोक महंगाई दर 15.88 फीसदी और खुदरा महंगाई दर 7.04 फीसदी के चिंताजनक स्तर पर पहुंच गई। ऐसे में रिजर्व बैंक महंगाई को नियंत्रित करने के लिए अब तक 0.90 फीसदी रेपो दर बढ़ा चुका है, बैंक एफडी पर 0.50 फीसदी से अधिक ब्याज दर बढ़ा चुके हैं, बॉन्ड पर यील्ड भी बढ़ता जा रहा है, ऋण महंगे हो रहे हैं, ऋण पर ज्यादा किस्त और ज्यादा ब्याज चुकाना पड़ रहा है और कर्ज के भुगतान की किस्त चूक में भी बढ़ोतरी हो रही है।
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