पुरूष के साथ स्वेच्छा से रहने वाली महिला संबंध विफल होने पर रेप का मामला दर्ज नहीं करा सकती - सुप्रीम कोर्ट

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नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि एक महिला, जो कभी एक पुरुष के साथ रिश्ते में थी और स्वेच्छा से उसके साथ रह रही थी, वह उनके रिश्ते में खटास आने के बाद दुष्कर्म का मामला दर्ज नहीं करा सकती है. शीर्ष अदालत ने सुनवाई के बाद अपीलकर्ता को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया.

न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने कहा कि शिकायतकर्ता का यह स्वीकार किया गया मामला है कि वह चार साल की अवधि के लिए अपीलकर्ता के साथ रिश्ते में थी. इसके अलावा, यह नोट किया गया कि शिकायतकर्ता के वकील द्वारा यह स्वीकार किया गया था कि जब रिश्ता शुरू हुआ, तब उसकी उम्र 21 वर्ष थी.

पीठ ने कहा, 'शिकायतकर्ता स्वेच्छा से अपीलकर्ता के साथ रह रही थी और संबंध रखती थी. उक्त तथ्य के मद्देनजर, इसलिए, अब यदि संबंध नहीं चल रहा है, तो यह धारा 376 (2) (एन) आईपीसी के तहत अपराध के लिए प्राथमिकी दर्ज करने का आधार नहीं हो सकता.'

शीर्ष अदालत ने मोहम्मद को अग्रिम जमानत दी, जिस पर दुष्कर्म, अप्राकृतिक अपराध और आपराधिक धमकी का आरोप लगाया गया था. पीठ ने कहा, 'नतीजतन, हम वर्तमान अपील को स्वीकार करते हैं और उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द करते हैं. अपीलकर्ता को सक्षम प्राधिकारी की संतुष्टि के लिए जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया जाता है.'


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