रुपए पर राजनीति

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राहुल गांधी ने ट्विटर पर एक ग्राफ़ शेयर कर प्रधानमंत्री को उनका एक पुराना बयान याद दिलाया. ये बयान उस दौर का है, जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे.

राहुल गांधी ने लिखा, "देश निराशा की गर्त में डूबा है" ये आपके ही शब्द हैं ना, प्रधानमंत्री जी? उस वक़्त आप जितना शोर मचाते थे, आज रुपए की क़ीमत तेज़ी से गिरती देखकर उतने ही 'मौन' हैं.

मोदी जी ने रुपये के गिरने को जब भारत सरकार की साख और भ्रष्टाचार से जोड़ा था तो उस समय रुपया डॉलर के मुकाबले 65 रुपये था. लेकिन मोदी जी के सत्ता संभालने के बाद यह लगातार गिरता गया. जो लोग उम्मीद कर रहे थे मोदी जी की साख, ईमानदारी और सुशासन के कारण रुपया एक बार फिर से 40 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर जा सकता है, उन्हें झटका लगने लगा. रुपया नीचे जाने की बजाय ऊपर ही चढ़ता गया. 2020 के शुरुआती दिनों में डॉलर की तुलना में एक्सचेंज रेट 71 रुपये के स्तर पर था. कोरोना आने के बाद यह 74-76 रुपये के स्तर तक गिर गया. रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण यह 78.50 रुपए के स्तर तक गिर गया. और अब 80 रुपए तक गिरने को मजबूर हो रहा है.


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