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कोरोना वायरस : दूसरी लहर में दोगुनी हुई अपरिपक्व जन्म दर, मौतें भी बढ़ीं, क्या इस बारे में चिंता करनी चाहिए?
साल 2021 में आई कोरोना की दूसरी लहर में दोगुना से भी अधिक अपरिपक्व जन्म हुए हैं। इसकी वजह से शिशुओं पर गंभीर प्रतिकूल असर पड़ा। दूसरी लहर में जन्मे हर पांचवें शिशु को आईसीयू में भर्ती करना पड़ा था। इसके चलते शिशुओं में मृत्युदर भी 2.30 फीसदी तक दर्ज की गई।
मेडिकल जर्नल स्प्रिंगर में प्रकाशित अध्ययन में नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) व राष्ट्रीय प्रजनन और बाल स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान (एनआईआरआरसीएच) के शोधार्थियों ने कोरोना संक्रमित माताओं से जन्मे 2524 नवजात शिशुओं के चिकित्सीय दस्तावेजों की जांच की।
इस दौरान पता चला कि महामारी की पहली लहर में 7.8 फीसदी संक्रमित माताओं की समय से पहले डिलीवरी कराई गई थी। जबकि दूसरी लहर में यह आंकड़ा 15 फीसदी से भी अधिक पहुंच गया था। इसी तरह नवजात शिशुओं को आईसीयू में भर्ती करने की दर 14 से बढ़कर 19 फीसदी तक पहुंची और उनकी मृत्यु दर 2.1 से बढ़कर 2.30 फीसदी तक दर्ज की गई। एनआईआरआरसीएच के प्रो. राहुल गजभिए ने बताया कि, वर्तमान के हालात भले ही कुछ और हों, लेकिन यह अध्ययन बताता है कि कोरोना संक्रमण का असर किस तरह गर्भवती महिलाओं व नवजात शिशुओं पर हो रहा है।
कोरोना का एक भी वैरिएंट आनुवांशिक नहीं इस अध्ययन में बताया गया कि कोरोना वायरस का अब तक एक भी ऐसा वैरिएंट सामने नहीं आया है, जिसे आनुवांशिक कहा जाए। यानी एक संक्रमित मां से जन्मे शिशु के कोरोना संक्रमित होने की आशंका बेहद कम है। साल 2020 और 2021 में आई कोरोना महामारी की पहली व दूसरी लहर में यह स्थिति लगभग एक जैसी देखी गई है। शोधार्थियों का कहना है कि फिलहाल इसके आनुवांशिक होने या फिर मां के जरिये बच्चे तक संक्रमण पहुंचने की आशंका अधिक होना गलत है।
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