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खेल: छोरों के साथ अभ्यास कर अंतरराष्ट्रीय फलक पर छाईं पूजा, बोलीं- पसीने को पदक में बदलूंगी
पहली बार राष्ट्रमंडल खेलों में देश का प्रतिनिधित्व करने जा रहीं पूजा गहलावत पदक जीतने को लेकर पूरी तरह आशान्वित हैं। पूजा राष्ट्रमंडल में पदक के लिए रोजाना सात घंटे पसीना बहा रही हैं। वह कहती हैं कि पसीने को अवश्य ही पदक में बदल लूंगी। वह देशवासियों की उम्मीद को पूरा करने के लिए रोहतक के छोटूराम स्टेडियम में अभ्यास कर रही हैं।
सोनीपत के गांव फरमाणा की लाडली पूजा गहलावत इंग्लैंड के बर्मिंघम में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों में 50 किलो भारवर्ग में पदक जीतने की तैयारी कर रही हैं। उनका मानना है कि प्रतियोगिता में सभी पहलवान सर्वश्रेष्ठ होंगे। ऐसे में उनका लक्ष्य अपने हर मुकाबले में बेहतर प्रदर्शन का रहेगा।
जिससे वह आसानी से जीत दर्ज कर सकेंगी। पूजा ने बताया कि वह रोहतक के छोटूराम स्टेडियम में प्रशिक्षक मंदीप के मार्गदर्शन में रोजाना सात घंटे जमकर पसीना बहा रही हैं। फिलहाल उनका पूरा ध्यान अपने अभ्यास है। जिसके चलते उन्होंने सार्वजनिक कार्यक्रमों व सोशल मीडिया से भी दूरी बना ली है। अभ्यास के बाद अपने वीडियो देखती हैं और अपनी कमियों को दूर करने का प्रयास करती है।
पूजा का मुकाबला 6 अगस्त को होना है। वह अपने सभी मुकाबलों में पार पाने को पूरी तरह तैयार हैं। उनके साथ अन बैलेंस होने की थोड़ी दिक्कत थी, जिस पर पूरा फोकस कर तैयारी की है। वह मानती है कि कलाजंग दांव उनका सबसे बेहतर है। वह विदेशी पहलवानों के वीडियो भी देख रहीं हैं। जिससे उनकी कमियों के बारे में पहले से पता हो। वह मानती हैं कि खेल में हर दिन विशेष होता है और उस दिन किया गया आपका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन मंजिल पर पहुंचा देता है। इसलिए मेरा लक्ष्य सिर्फ आगे बढ़ना है।
लड़कों के साथ अभ्यास कर बढ़ीं आगे पूजा गहलावत के चाचा धर्मबीर सिंह पहलवान थे। उन्होंने पूजा को अखाड़े में ले जाना शुरू कर दिया था। लेकिन पिता बिजेंद्र सिंह बेटी को कुश्ती में नहीं भेजना चाहते थे। जिस पर पूजा ने वॉलीबॉल खेलना शुरू कर दिया था। वह वॉलीबॉल में राष्ट्रीय स्तर पर जूनियर खिलाड़ी रहीं। लेकिन वर्ष 2014 में उन्होंने कुश्ती को ही अपना लिया। वह दिल्ली के बांकनेर में प्रशिक्षक आनंद प्रकाश के पास लड़कों के साथ अभ्यास करती थीं। लड़कों के साथ अभ्यास का उन्हें फायदा भी मिला। लेकिन बाद में उनका परिवार उन्हें रोहतक ले आया और वह रोहतक में अभ्यास करने लगीं। चार भाई-बहनों में दूसरे नंबर की पूजा के सबसे छोटे भाई अंकित भी कुश्ती में हाथ आजमा रहे हैं।
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