प्रदेश के अधिकांश हिस्से में अब खेती-किसानी के लिए पर्याप्त बारिश

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प्रदेश के अधिकांश हिस्से में अब खेती-किसानी के लिए पर्याप्त बारिश हो चुकी है। मानसून में हर साल तीन बार सूखे जैसी आशंकाएं पैदा होने लगती हैं। देरी के कारण, जुलाई-अगस्त में मानसून ब्रेक होने और सितंबर-अक्टूबर में फसल पकने से पहले अगर बारिश न हो तो सूखे जैसे हालात बनते हैं। लेकिन अनुभव यही रहा है कि मानसून में थोड़ी देर या छोटे ब्रेक का खरीफ फसलों के उत्पादन पर असर नहीं पड़ता है।
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