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जलवायु परिवर्तन : मानसून के महीने हुए ज्यादा गर्म, मौतें घटीं
इस सदी में देश में मानसून के दौरान तापमान बढ़ चुका है। 2001 तक जून से सितंबर तक औसत तापमान 28 डिग्री सेल्सियस से नीचे रहता था, लेकिन 2021 तक यह 28.4 डिग्री सेल्सियस औसत हो चुका है। केंद्र सरकार ने बुधवार को यह जानकारी दी, हालांकि यह भी बताया कि बीते दो वर्षों में तेज गर्मी की वजह से मौतों का आंकड़ा घटा है।
विज्ञान, तकनीक और पृथ्वी विज्ञान मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि इस साल भारत के लिए मार्च महीना बीते 100 वर्षों में सबसे गर्म रहा। अप्रैल-मई में भी तापमान असामान्य रहा। इसकी वजह जलवायु परिवर्तन है। आमतौर पर जून तक लू के रूप में गर्म हवाएं चलती हैं, लेकिन इसके बाद मानसूनी महीनों में तापमान कम हो जाता है। हालांकि पिछले 20 साल में मानसून का औसत तापमान भी बढ़ चुका है।
उन्होंने आशंका जताई कि हिंद महासागर में बढ़ते तापमान और अल नीनो के असर की वजह से आने वाले समय में भी लंबे समय तक चलने वाली गर्म हवाओं का सामना देश को करना पड़ सकता है। अल नीनो प्रशांत महासागर की सतह का तापमान बढ़ने को कहा जाता है। इससे दक्षिण अमेरिका में भारी बारिश और बाढ़ आती है तो एशिया और पूर्वी अफ्रीका में तापमान में वृद्धि होती है।
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