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ताइवान के 786 अरब डॉलर के उद्योग पर चीन की नजर, काबू पाने की फिराक में ड्रैगन
अमेरिकी संसद की स्पीकर नैंसी पेलोसी के ताइवान दौरे से चीन काफी भड़का हुआ है। 25 साल में पहली बार कोई इतना बड़ा अमेरिकी राजनेता ताइवान पहुंचा है। इसके खिलाफ बीजिंग ने सैन्य कार्रवाई तक की धमकी दे डाली। दरअसल, अमेरिका ताइवान के जरिये चीन की एकाधिकार की कोशिश रोकना चाहता है। बीजिंग सक्षम ताइवानी उद्योगों पर काबू पाने की फिराक में है। यहां जानिए, ताइवान दोनों के लिए क्यों है इतना अहम...
कहां है ताइवान और क्यों है चीन से झगड़ा चीन के दक्षिण पूर्वी समुद्र के बीचों बीच स्थित छोटे-से द्वीप का नाम है ताइवान। चीन से वहां की दूरी करीब 160 किमी है। इसकी आबादी 2.3 करोड़ है। दोनों में टकराव 1949 में हुए गृह युद्ध के दौर से चला आ रहा है। तब ताइवान चीन से अलग हो गया था, पर बीजिंग उसे अपना प्रांत मानते हुए कब्जा करना चाहता है। वहीं, ताइवान ने खुद को आजाद मुल्क घोषित कर रखा है।
ताइवानी सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी (टीएसएमसी) का दुनिया के आधे से ज्यादा बाजार पर कब्जा है और एपल, क्वालकॉम और एनवीडिया इसके बड़े खरीदार हैं। ताइवान 786 अरब डॉलर का माल-सेवाएं बनाता है। इसमें से 100 अरब डॉलर का योगदान अकेले चिप उद्योग का है। यही वजह है कि यह छोटा-सा देश सबके आकर्षण का केंद्र है। आर्थिक और भूराजनीतिक महत्व के कारण ताइवान की अमेरिका से नजदीकियां चीन को चुभती हैं।
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