High Court : बिना नोटिस बुलडोजर चलाकर बेदखल नहीं कर सकते, डीडीए की कार्रवाई गलत

feature-top

उच्च न्यायालय ने कथित अतिक्रमणकारियों को रातोंरात हटाने में विकास प्राधिकरण (डीडीए) की कार्रवाई को गलत बताया। अदालत ने कहा कि किसी व्यक्ति को बिना नोटिस के सुबह या देर शाम उनके दरवाजे पर बुलडोजर से बेदखल नहीं किया जा सकता। वे पूरी तरह से आश्रयहीन हैं, उन्हें वैकल्पिक स्थान प्रदान किया जाना चाहिए। 

न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने अपने फैसले में कहा कि ऐसे व्यक्तियों को एक उचित समय प्रदान किया जाना चाहिए और किसी भी विध्वंस गतिविधियों को शुरू करने से पहले उन्हें अस्थायी स्थान प्रदान किया जाना चाहिए। डीडीए को इस तरह के किसी भी उद्यम को शुरू करने से पहले डीयूएसआईबी के परामर्श से कार्य करना होता है।अदालत ने शकरपुर स्लम यूनियन द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि इसमें झुग्गी-झोपड़ी और शहर के शकरपुर जिले की मलिन बस्तियां शामिल हैं।

पिछले साल 25 जून को याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि डीडीए के अधिकारी बिना किसी नोटिस के इलाके में पहुंचे और करीब 300 झुग्गियों को ध्वस्त कर दिया। विध्वंस तीन दिनों तक चला। जिन लोगों की झुग्गियां तोड़ी गईं उनमें से कई लोग अपना सामान भी नहीं ले पाए। डीडीए के अधिकारियों के साथ पुलिस अधिकारियों ने निवासियों को साइट से हटा दिया।

याचिका में इस प्रकार डीडीए को आगे विध्वंस कार्रवाई स्थगित करने और ध्वस्त स्थल पर यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया था कि जब तक कि सभी निवासियों का सर्वेक्षण और डीयूएसआईबी नीति के अनुसार पुनर्वास नहीं किया जाता तब तक कार्यवाही नहीं की जा सकती। अदालत ने डीडीए को केवल डीयूएसआईबी के परामर्श से विध्वंस करने का निर्देश देते हुए याचिका का निपटारा कर दिया।

कोर्ट ने डीडीए को यह भी निर्देश दिया कि वह निवासियों को वैकल्पिक व्यवस्था करने के लिए पर्याप्त समय दे। डीडीए ने उच्च न्यायालय द्वारा दी गई रोक को खत्म करने के लिए आवेदन दायर किया था जिसमें कहा गया था कि यमुना नदी से लगभग 200 मीटर की दूरी पर स्थित क्षेत्र में विध्वंस किया गया था।


feature-top