Delhi Assembly: परिसीमन आयोग ने तय की वार्डों की संख्या, 28 विधानसक्षा क्षेत्रों पर पड़ेगा असर

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परिसीमन आयोग ने विधानसभा क्षेत्रों के हिसाब से दिल्ली में वार्डों की संख्या तय कर दी है। सूत्रों के अनुसार 68 में से 40 में तीन-तीन और 17 में चार-चार वार्ड बनेंगे। वहीं, छह विधानसभा क्षेत्रों में 5-5, तीन में 6-6 व दो में 7-7 वार्ड बनेंगे। 22 वार्ड कम होने से 28 विधानसभा क्षेत्रों में वार्ड की मौजूदा संख्या पर असर पड़ रहा है। 

25 विधानसभा क्षेत्रों में वार्ड की संख्या में कमी आएगी, जबकि तीन में इजाफा होगा। दिल्ली छावनी और नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी) की दो सीटें इनमें शामिल नहीं की गई हैं। केंद्र सरकार ने तीनों नगर निगम का विलय करके एमसीडी का गठन करने के दौरान उनके वार्डों की संख्या 272 से कम करके 250 करने का निर्णय लिया था। इस संबंध में संसद व राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद केंद्र सरकार ने वार्डों के परिसीमन के लिए एक माह पहले दिल्ली राज्य चुनाव आयोग के आयुक्त विजय देव की अध्यक्षता में आयोग का गठन किया था। आयोग ने केंद्र सरकार से वार्डों का गठन करने संबंधी नियम एवं शर्तों की स्वीकृति मिलने के बाद वार्डों के परिसीमन का कार्य आरंभ कर दिया था।

मतदाताओं की संख्या का बनाया गया आधार : सूत्रों के अनुसार आयोग ने सभी 68 विधानसभा क्षेत्रों के मतदाताओं और वर्ष 2011 की जनगणना का आकलन करने का कार्य पूरा कर लिया है। आयोग ने विधानसभा क्षेत्रों में मतदाताओं की संख्या को मद्देनजर रखते हुए वार्डों की संख्या तय करने का निर्णय लिया है। इसी तरह आयोग ने वार्डों की सीमा तय करने में मतदान केंद्रों एवं उनमें मतदाताओं की संख्या को आधार बनाया है। दरअसल, कई विधानसभा क्षेत्रों में बीते 11-12 साल में जनसंख्या काफी बढ़ गई है और उनमें वर्तमान समय में वर्ष 2011 की जनगणना की रिपोर्ट में अंकित जनसंख्या से अधिक मतदाता है।

60 हजार वोटरों पर एक वार्ड बनने की संभावना : सूत्रों ने बताया कि आयोग करीब 60 हजार मतदाताओं की संख्या पर एक वार्ड बना रहा है। इस दौरान वार्डों में मतदाताओं की संख्या 10 प्रतिशत कम एवं ज्यादा रखी जा सकती है। लेकिन दो लाख नौ हजार से कम मतदाता वाले विधानसभा क्षेत्रों में तीन-तीन वार्ड बनाए जाएंगे। आयोग मतदाताओं के अनुसार वार्डों का गठन करने के बाद उनको वर्ष 2011 की जनगणना के तहत तस्वीर देगा, क्योंकि जनगणना की रिपोर्ट के अनुसार वार्ड अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित किए जाएगे। केंद्र सरकार ने वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार वार्डों का नए सिरे से गठन के निर्देश दिए है।


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