जेडीयू, शिवसेना, पीडीपी, अकाली... बीजेपी से गठबंधन बाद कैसे सहयोगी दल कमज़ोर होते चले गए

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राजनीतिक गलियारे में इन दिनों ये धारणा ज़ोर पकड़ रही है कि भारतीय जनता पार्टी राज्यों में चुनाव के दौरान क्षेत्रीय दलों का इस्तेमाल वोट हासिल करने के लिए करती है और फिर बाद में उन्हें अस्तित्वहीन बना देती है.

ये माना जा रहा है कि इसी तरह के ख़तरे को भांपते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ गठबंधन तोड़कर पाला बदल लिया।

इसे हाल के दशकों के सबसे साफ सुथरे और सरल 'राजनीतिक ऑपरेशन' के तौर पर देखा जा रहा है.

भले ही ये लग रहा हो कि बिहार में राजनीतिक बदलाव बहुत तेज़ी से और बहुत कम समय में हुआ है लेकिन नीतीश कुमार जैसे राजनेता को भी ये समझने में लंबा वक्त लगा कि उनकी राजनीतिक ज़मीन झटकने के प्रयास किए जा रहे हैं.


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