हाईकोर्ट का अहम आदेश: संपत्ति की जानकारी के बिना नहीं करवा सकते स्थाई गुजारा भत्ता आदेश का पालन

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पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए स्पष्ट कर दिया है कि पति की संपत्ति की जानकारी के अभाव में स्थाई गुजारा भत्ता जारी करने के आदेश का पालन नहीं करवाया जा सकता। हाईकोर्ट ने यह फैसला गुजारा भत्ता के आदेश का पालन करवाने से जुड़ी एक याचिका पर जारी किया है। कोर्ट ने याची को संपत्ति की जानकारी मिलने पर फिर से याचिका दाखिल करने की छूट भी दी।

पंचकूला निवासी महिला ने याचिका दाखिल करते हुए हाईकोर्ट को बताया था कि उसका विवाह 2011 में हुआ था। विवाह के बाद दोनों के बीच विवाद बढ़ने लगा और पंचकूला की फैमिली कोर्ट में तलाक के लिए याचिका दाखिल की गई। पंचकूला फैमिली कोर्ट ने तलाक का आदेश देते हुए स्थाई गुजारा भत्ता के रूप में 60 लाख रुपये तय किया। याची ने आदेश के पालन के लिए याचिका दाखिल की तो फैमिली कोर्ट ने इसके पालन के लिए मामले को बलाचौर की अदालत में भेज दिया। जब पति की बताई संपत्ति को अटैच करने का कार्य आरंभ किया गया तो पता चला कि वह संपत्ति उसके नाम नहीं थी। इसके बाद बलाचौर की अदालत ने याचिका को फिर से पंचकूला फैमिली कोर्ट के पास भेज दिया।

पंचकूला की अदालत ने पाया कि पति ब्रिटेन में रहता है और भारत में उसकी संपत्ति के बारे में पत्नी को कोई जानकारी नहीं है। इसके बाद आदेश के पालन से जुड़ी याचिका को पंचकूला की कोर्ट ने खारिज कर दिया। इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। हाईकोर्ट ने कहा कि जब पति की भारत में कोई संपत्ति नहीं है तो स्थाई गुजारा भत्ता की राशि जारी नहीं करवाई जा सकती। यदि पति की किसी संपत्ति की जानकारी याची को भविष्य में मिलती है तो उस जानकारी के साथ याची दोबारा आदेश का पालन करने से जुड़ी याचिका दाखिल कर सकती है।


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