विधायक निधि भी खर्च न कर सके माननीय: बड़ी संख्या में काम भी अधूरे रहे गए, इस मंडल का सबसे ज्यादा बुरा हाल

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प्रदेश की 17वीं विधानसभा के 403 विधायकों में से अधिकांश अपनी निधि की राशि खर्च नहीं कर सके। इस निधि के करीब 1200 करोड़ रुपये में से 918 करोड़ से अधिक राशि जिला ग्रामीण विकास अभिकरण और कार्यदायी संस्थाओं के पास जमा रह गई। वहीं विधायकों की ओर से स्वीकृत कार्य भी बड़ी संख्या में अधूरे रहे। 

कोरोना संक्रमण की पहली लहर के दौरान प्रदेश सरकार ने वित्तीय वर्ष 2020-21 की विधायक निधि को कोरोना रोकथाम और संक्रमित मरीजों के उपचार के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा कर दिया था। चुनावी वर्ष होने के कारण सरकार ने 2021-22 में यह निधि बहाल करते हुए प्रति विधायक तीन करोड़ रुपये (जीएसटी सहित) जारी की।

चुनावी वर्ष में विधायकों ने क्षेत्र के विकास और मतदाताओं की नाराजगी दूर करने के लिए निधि तो जारी की, लेकिन इसकी प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति जारी होने में विलंब के चलते करीब 605 करोड़ 25 लाख रुपये जिला ग्रामीण विकास अभिकरणों के खाते में जमा रह गए। वहीं कार्य शुरू नहीं होने, काम अधूरे होने के कारण करीब 313 करोड़ 45 लाख रुपये कार्यदायी संस्थाओं के बैंक खाते में जमा रह गए। विधायकों ने जो कार्य विधायक निधि से स्वीकृत किए थे उनमें से 22,769 काम पूरे हुए जबकि 19,423 अधूरे रह गए और 377 काम शुरू नहीं हो सके।


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